सुराकछार उपक्षेत्र के कामगारों को जबरन स्थांतरित करने की तैयारी
0 श्रमिक संगठन एटक ने जताया विरोध
कोरबा। एसईसीएल कोरबा क्षेत्र के अंतर्गत सुराकछार उपक्षेत्र के मेन माइन एवं 3-4 खदान से कर्मचारियों को दीगर इकाइयों में स्थानांतरण की योजना बनाई जा रही है, जिसका एटक श्रम संगठन विरोध कर रही है।
इस संबंध में एटक के दीपेश मिश्रा ने बताया कि पर्यावरण मंजूरी न मिलने के कारणों के चलते दोनों खदान में खनन गतिविधियों को रोक दिया गया है। इसमें सबसे मजेदार बात यह है कि केंद्रीय पर्यावरण विभाग ने 2015 में ही सुराकछार प्रबंधन को खनन गतिविधियों को जारी रखने के लिए पर्यावरण मंजूरी लेने को कहा था, परंतु प्रबंधन ने केंद्रीय पर्यावरण विभाग से जारी किए गए नोटिस को नजरअंदाज करते हुए खनन गतिविधियों को जारी रखने के लिए राज्य पर्यावरण विभाग से संचालित सहमति ले लिया और कोयला उत्पादन जारी रखा। जबकि केंद्रीय पर्यावरण विभाग से जारी नोटिस को गंभीरता से नहीं लिया। अब राज्य पर्यावरण विभाग ने भी पर्यावरण मंजूरी के अभाव में दोनों खदानों में कोयला उत्पादन रोक दिया है। इस मसले पर दीपेश मिश्रा ने कहा कि पर्यावरण मंजूरी एक लंबी प्रक्रिया है, जो निश्चित आकार से बड़ी परियोजनाओं के लिए अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि सुराकछार उपक्षेत्र के बलगी खदान में फरवरी 2024 तक कोयला उत्पादन जारी रखने की अनुमति है। यानी कि बलगी खदान का भविष्य भी खतरे में है। इस मसले पर मिश्रा ने कहा कि पर्यावरण मंजूरी के अभाव में जिस प्रकार कोयला उत्पादन को रोक दिया गया है उसका हल निकाला जाए। किसी भी मजदूर का स्थानांतरण न किया जाए, बल्कि जो मजदूर स्वेच्छा से दीगर इकाइयों में जाना चाहता है उसे ही ट्रांसफर किया जाए।