कमाओ लेकिन उस धन का दसवां हिस्सा धर्मार्थ कार्यों में लगाएं : आचार्य नूतन
0 बरपाली में आयोजित श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह में उमड़ रहे श्रोता
कोरबा। प्रणाम करने से आयु बल और तेज में वृद्धि होती है। मार्कण्डेय ने प्रणाम करने को अपने दिनचर्या जीवन में उतार 3 वर्ष की अल्पायु से देवों, शिव कृपा से संसार के आठवें चिंरजीवी होने का आशीष प्राप्त कर लिया। इसलिए जीवन में हमें हमेशा अपनों से बड़ों को प्रणाम करना चाहिए।
उक्त बातें आचार्य नूतन पाण्डेय ने पूर्व माध्यमिक शाला सलिहाभांठा के प्रधानापाठक गोरेलाल साहू के बरपाली स्थित निवास में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह में द्वितीय दिवस रविवार को कथा प्रसंग के दौरान कही। आचार्य पाण्डेय ने उपस्थित श्रोताओं से कहा कि जिंदगी में खूब धन संचित करो, कमाओ लेकिन उस धन का दसवां हिस्सा धर्मार्थ कार्यों में लगाएं। दान करने से कभी धन घटता नहीं वरन धन का शुद्धिकरण भी होता है। उन्होंने कथा प्रसंग का बहुत ही प्रभावशाली ढंग से वर्णन करते हुए कहा कि भीष्म पितामह के अनुसार कहीं भी अगर गलत हो रहा हो तो हम सामर्थ्यवान हैं तो हमें गलत करने वालों को दंड देना चाहिए, अन्यथा हमें वहां से चला जाना चाहिए। गुरु द्रोण के पुत्र होने के बाद भी जहां उसके पुत्र अश्वथामा को दुर्योधन के साथी बनने गलत संगत के कारण जहां ब्रम्हविद्या प्राप्त नहीं हो सकी, वहीं स्वयं परब्रम्ह के अवतार श्री कृष्ण के सानिध्य में रहे अर्जुन को ब्रम्ह विद्या प्राप्त हुई। जिसका उन्होंने अश्वथामा के द्वारा उत्तरा के गर्भस्थ शिशु को मारने चलाए गए जन अहितकारी ब्रम्हास्त्र का पत्रिकार कर प्रमाण दिया।
आचार्य पांडेय ने करुणा का महत्व बताते हुए उपस्थित श्रोताओं से कहा कि जिस पूतना ने अपने स्तन में हलाहल विष का लेप कर भगवान लीलाधर को विष भरे स्तनपान कराया, उन्हें भगवान ने माता का दर्जा दिया। उन्होंने नारद के दर्शन का महत्व भी समझाया। जिसको नारद का दर्शन हो गया समझो उन्हें देव दर्शन हो गए। आचार्य पांडेय ने कहा कि संसार में सबसे बड़ी विपत्ति नारायण (ईश्वर) से ध्यान चित्त हटना है, वहीं सबसे बड़ी संपत्ति नारायण (ईश्वर) का ध्यान है। पितरों परिजनों के कल्याण निमित्त आयोजित साहू परिवार के श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह में बड़ी संख्या में श्रोता श्रीमद् कथा भागवत कथा अमृत गंगा का रसपान कर रहे हैं।