जिले में हुई धान की बंपर खरीदी, मियाद बढ़ाए जाने से मिला एक और मौका
0 65 खरीदी केंद्रों में 43 हजार 149 किसानों से 28,24,337 क्विंटल धान की खरीदी
कोरबा। धान खरीदी की समय सीमा चार जनवरी तक बढ़ाए जाने से वंचित किसानों को धान बेचने का नया अवसर मिल गया है। जनवरी अंत तक लक्ष्य से सवा तीन लाख क्विंटल अधिक धान खरीदी हो चुकी है। उपार्जन के 92 दिन बीतने के बाद 65 खरीदी केंद्रों में 43 हजार 149 किसानों से 28,24,337 क्विंटल धान की खरीदी हो चुकी है। यह अब तक हुई खरीदी का सर्वाधिक रिकॉर्ड है।
धान बिक्री के लिए 5,127 पंजीकृत किसान अब भी शेष हैं। ऐसे में कुल खरीदी 30 लाख क्विंटल के करीब पहुंचने की संभावना है। उपार्जन केंद्रों में 7.38 लाख क्विंटल धान अब भी जाम है। बंपर खरीदी से विपणन विभाग के लिए उठाव चुनौती बनी है। धान खरीदी के लिए चार दिन समय बढ़ने से उपार्जन केंद्रों टोकन कटाने वाले किसानों की होड़ लग गई है। गुरुवार को धान बेचने के लिए 48 किसानों ने टोकन कटाया है। मौसम के उतार चढ़ाव व वर्षा के बीच बंपर खरीदी हुई है। आदिवासी बाहुल्य जिले ने इस बार सप्ताह भर पहले ही धान खरीदी का लक्ष्य प्राप्त कर लिया है। पिछले साल खरीफ वर्ष 2022-23 में 43,337 किसानों ने 60 उपार्जन केंद्रों में धान बेचा था। इस वर्ष अगस्त से 31 अक्टूबर तक चली नवीन पंजीयन में 5954 किसान शामिल हुए। इनमें 196 किसानों का पंजीयन निरस्त हो गया। नवीन पंजीयन के बाद अब जिले में धान बेचने वाले किसानों की संख्या 48 हजार 276 हो गई है। धान बिक्री के लिए कुल रकबा 72 हजार 774.01 हेक्टयेर है, जिसमें इस वर्ष 5663.01 हेक्टेयर रकबा में बढ़त हुई है। बीते वर्ष किसानों ने 22 लाख 2514 क्विंटल धान बेचा था। पंजीकृत कुल रकबा 61 हजार 774 हेक्टेयर में 46 हजार 13 हेक्टेयर रकबा के उपज की खरीदी की गई थी। अब तक हुई धान खरीदी ने पिछला सभी रिकॉर्ड तोड़ दिया है।
नए खरीफ वर्ष 5,356 नए किसानों ने पंजीयन कराया है। पंजीकृत किसानों की संख्या बीते वर्ष की तुलना 43,256 से बढ़कर 48,276 हो गया है। पंजीकृत रकबा में 4,445 हेक्टेयर की वृद्धि हुई है। कुल 69,457 हेक्टेयर रकबा में लगे धान की खरीदी होगी। मिलिंग कार्य के लिए के लिए मिलर्स से अनुबंध की प्रक्रिया जिला खाद्य विभाग ने शुरू कर दी है। बीते वर्ष उपार्जित धान की मिलिंग जिले के 87 मिलर्स ने की थी। इस बार 21 मिलर्स की संख्या में वृद्धि हुई है। 108 मिलर्स से मिलिंग का काम लिया जा रहा जो जरूरत से कम है।