लाल ईंट का अवैध रूप से निर्माण कर किया जा रहा बिक्री
0 कार्रवाई नहीं होने से शासन को हो रहा राजस्व का नुकसान
कोरबा (पाली)। विकासखंड पाली अंतर्गत आसपास के ग्रामों में अवैध रूप से लाल ईंट बनाने के काम को बेखौफ अंजाम दिया जा रहा है। इसकी जानकारी राजस्व सहित खनिज विभाग के अधिकारियों को भी है लेकिन कार्रवाई नहीं की जा रही है। इससे अवैध ईंट का कारोबार करने वालों के हौसले बुलंद है तथा इन्हें न किसी का भय है और न ही कार्रवाई का डर।
जिले के राजस्व निरीक्षण मंडल पाली अंतर्गत आसपास के क्षेत्रों में दर्जनों लाल ईंट भट्ठे अवैध रूप से संचालित हो रहे हैं। इसमें अधिकतर भट्ठे घनी आबादी के बीच दहक रहे हैं। नदी किनारे, गांव के आसपास, अपने जमीन पर या फिर दूसरे की जमीन पर किराया लेकर ईंट भट्ठे बना लिए गए हैं जो स्वयं के मकान निर्माण करने के नाम पर बड़े पैमाने पर लाल ईंट निर्माण कर बिक्री को अंजाम दे रहे हैं। इस अवैध निर्माण कार्य को रोकने की जवाबदारी राजस्व व खनिज विभाग को है। पूरे मामले जिनके संज्ञान में है लेकिन जिला प्रशासन के आदेश की खानापूर्ति करते हुए छोटे-मोटे कुछ एक भट्ठे पर कार्रवाई की औपचारिकता निभा अपने हाथों अपनी पीठ थपथपाने का कार्य किया गया है, जबकि बड़े-बड़े ईंट भट्ठे बेरोकटोक संचालित हो रहे हैं।
सर्वाधिक लाल ईंट निर्माण कर बिक्री का कार्य ग्राम पंचायत धौराभांठा के आश्रित ग्राम जुनापारा में आबादी के बीच व ग्राम पंचायत पोड़ी के आश्रित लब्दापारा, लीमघाट, कुदरिया, धनुहारपारा सहित इस ग्राम के अन्य स्थानों पर बीते कई वर्ष से धड़ल्ले के साथ होता आ रहा है। जिस पर आज तक किसी भी प्रकार की कार्रवाई देखने व सुनने को नहीं मिली। वहीं उक्त स्थानों पर संचालित ईंट भट्ठों के संचालक सीना ठोंक संबंधित अधिकारियों को ईंट निर्माण व बिक्री के एवज में माहवारी देने की बातें करते हैं। ऐसे में अवैध ईंट संचालनकर्ताओं के हौसले बढ़ना तो लाजिमी है।
जानकारी के अनुसार नियमानुसार ईंट भट्ठा का लोगों पर किसी प्रकार से दुष्प्रभाव न हो, दुर्घटना न हो इसलिए संचालन आबादी क्षेत्र से बाहर होनी चाहिए। मिट्टी खनन के लिए खनिज विभाग की अनुमति, लोहे की बजाय सीमेंट की चिमनी होनी चाहिए। पर्यावरण और प्रदूषण विभाग की अनुमति सहित 750 एसएमसी से अधिक प्रदूषण नहीं हो। जो इन नियमों का पालन नहीं करता है उसे अवैध भट्ठे की श्रेणी में रखे जा सकता है, किंतु क्षेत्र में बिना मापदंड के भट्ठे जगह-जगह संचालित हो रहे हैं। जिन्होंने किसी प्रकार की अनुमति नहीं ली है और शासन को राजस्व का चूना लगाते हुए प्रतिमाह लाखों कमा रहे हैं।