ग्राम्य भारती महाविद्यालय के वनस्पति शास्त्र व भौतिकी विभाग के छात्रों का चैतुरगढ़ शैक्षणिक भ्रमण
0 विद्यार्थियों ने प्रकृति का अध्ययन कर मूल्यों को समझा
-विनोद उपाध्याय
कोरबा (हरदीबाजार)। शासकीय ग्राम्य भारती महाविद्यालय हरदीबाजार के वनस्पति शास्त्र भौतिकी विभाग के एमएससी द्वितीय एवं चतुर्थ सेमेस्टर के छात्र-छात्राओं शैक्षणिक भ्रमण लिए चैतुरगढ़ ले जाया गया। वनस्पति शास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो. पी.के. पाण्डेय के मार्गदर्शन से सहायक प्राध्यापक डॉ. रानू राठौर, उमाशंकर चन्द्रा, संजीव चौहान, कल्याण सिंह एवं प्रयोगशाला तकनीशियन राजाराम जायसवाल ने बताया कि फील्ड ट्रीप शिक्षा का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह हमें एक पल के लिए व्यवहारिक भागीदारी को शामिल करने में मदद करता है। यह छात्र-छात्राओं की सोच रचनात्मकता को प्रोत्साहित करता है।
चैतुरगढ़ महाविद्यालय से लगभग 70 किमी की दूरी पर स्थित है। चैतुरगढ़ अपनी सुंदरता एवं ऐतिहासिक गुणों के कारण प्रचलित है। चैतुरगढ़ प्रकृति की गोद में बसा मैकल श्रेणी पर्वत से घिरा हुआ छत्तीसगढ़ की कश्मीर अपनी सुन्दर वादियों के साथ-साथ अनुपम दृश्य, मनमोहक वातावरण, गुप्त गुफा, झरना, नदी, जलाशय, दिव्य जड़ी-बूटी तथा औषधीय वृक्षों से यह क्षेत्र परिपूर्ण हैं। भौतिकी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. के.के. दुबे के मार्गदर्शन से सहायक प्राध्यापक राधेश्वरी साहू, कोमल प्रसाद दास, आद्याचरण मिश्रा ने बीहड़ इलाके में रह रहे स्थानीय निवासियों की सुविधाओं का जायजा लिया। वहां बिजली और पानी की समस्या पाई गई। इसके लिए भौतिकी विभाग के सहायक प्राध्यापकों द्वारा यह बताया गया कि प्राकृतिक ऊर्जा का सबसे बड़ा स्त्रोत सूर्य है। सौर ऊर्जा के प्रयोग से बिजली का उत्पादन करने के लिए सोलर पैनल का उपयोग होता है। नवीकरणीय ऊर्जा का प्रयोग कर जीवाश्म ईंधन की निर्भरता की खत्म किया जा सकता है। यह पर्यावरण को प्रदूषित करने का कार्य करता है। सोलर पैनल पर्यावरण के अनुकूल कार्य करते हैं एवं यह लंबे समय तक ऊर्जा प्रदान करने में सक्षम होते हैं। सोलर पैनल की अनेक विशेषताएं होती है जिनसे इनके उपयोगकर्ता को लाभ प्राप्त होता है। इनका प्रयोग अधिक से अधिक कर हरित भविष्य बनाया जा सकता है।
वनस्पति शास्त्र के प्राध्यापकों ने छात्र-छात्राओं को वहां स्थित पौधों के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए उनकी उपयोगिता को बताया, जिससे छात्र-छात्राएं प्रकृति के बारे में विस्तार से अध्ययन कर उनके मूल्यों को समझा। प्रकृति में होने वाले उतार-चढ़ाव के बावजूद किस तरह से वहां की मनोरम दृश्य अभी तक बनी हुई है इसके बारे में विचार विमर्श किया। इस शैक्षणिक भ्रमण के लिए एमएससी द्वितीय एवं चतुर्थ वनस्पति शास्त्र एवं भौतिक विज्ञान के छात्र-छात्राओं ने अपने प्राध्यापकों का विशेष आभार जताया।