आमरण अनशन पर बैठी भू-विस्थापित महिलाओं की हुई तबियत खराब, जिला अस्पताल में कराया गया भर्ती
0 एनटीपीसी कोरबा के खिलाफ 44 दिन से बैठे हैं
कोरबा। ग्राम चारपारा के भू-विस्थापित एनटीपीसी से नौकरी, मुआवजा व बसाहट की मांग को लेकर 9 माह से आईटीआई तानसेन चौक के पास धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। 30 जनवरी 2024 से जिला प्रशासन व एनटीपीसी द्वारा झूठा व भ्रामक आश्वासन के खिलाफ भू-विस्थापित आमरण अनशन कर रहे हैं। इस पर जिला प्रशासन की ओर से कोई सुनवाई नहीं की गई। इसी बीच 44 दिन से आमरण अनशन पर बैठीं भू-विस्थापित परिवार की श्याम भाई पटेल (65), मोंगरा बाई केवट (75) व गणेशी बाई केवट (52) की रविवार को तबियत बिगड़ गई। उन्हें उपचार के लिए जिला अस्पताल में दाखिल कराया गया है।
भू-विस्थापितों का कहना है कि जमीन अधिग्रहण के एवज में 4 सितंबर 1979 को आम सूचना जारी किया गया था। 22 जनवरी 1981 को बिलासपुर कलेक्टर ने ग्राम चारपारा के प्रत्येक परिवार को अविलंब नौकरी देने के लिए एग्रीमेंट जारी किया। उनका कहना है कि सीपत बिलासपुर के 33 भू-विस्थापितों को कोरबा एनटीपीसी में ट्रेनिंग कराकर भर्ती कराया गया। इसके अनुसार राज्यपाल को हमने आंदोलन करते हुए सूचना दी थी। उसे पत्र के अनुसार नियमानुसार भर्ती करने के लिए कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक कोरबा को आदेशित किया गया। कैबिनेट मंत्री लखनलाल देवांगन ने पांच परिवार के भू-विस्थापितों के नाम से नौकरी मुआवजा बसाहट दिलाने के लिए कलेक्टर को आदेशित किया था। राज्यपाल व कैबिनेट मंत्री के पत्र की कलेक्टर ने अवहेलना की है। भू-विस्थापितों का कहना है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होती, तब तक आदर्श आचार संहिता में शांतिपूर्वक हड़ताल जारी रखेंगे।