November 7, 2024

अनियंत्रित होकर ट्रेलर नाले में गिरा, पिछला हिस्सा विद्युत खंभे से टकराया

कोरबा। जिले के कुसमुंडा क्षेत्र में तमाम व्यवस्थाओं के बावजूद भारी वाहन चालकों की मनमानी कम नहीं हो रही। खदान प्रवेश से लेकर कांटा, लोडिंग, और फिर खदान से बाहर निकलने की जल्दबाजी न सिर्फ आम लोगों बल्कि स्वयं के वाहन के साथ भी दुर्घटनाओं को अंजाम देने से नहीं चूक रहें हैं। ताजा घटनाक्रम कुसमुंडा थाना चौक का है, जहां बुधवार की तड़के सुबह कुसमुंडा खदान प्रवेश करने की जल्दबाजी में एक खाली ट्रेलर थाना चौक पार कर पानी निकासी के लिए बनाए गए बड़े से नाले में गिर गया। वहीं ट्रेलर का पिछला हिस्सा चालू बिजली के बड़े से पोल में जा टिका। पोल नहीं होता तो थाना परिसर की दीवार को तोड़ते हुए सीधे थाने में चला जाता। फिलहाल गनीमत ये रही कि इस आपाधापी में किसी को चोट नहीं लगी। न ही बिजली पोल को नुकसान हुआ है, वरन चालू बिजली की पोल गिरती तो बड़ा हादसा हो सकता था।
थाना चौक में आमजनों की आवाजाही निरंतर बनी रहती है। ऐसे में यहां गेवरा टीपर रोड की ओर से खदान प्रवेश करने एक दिशा में 4 से 5 ट्रेलरों की लाइन वहीं रेलवे फाटक पार कर थाना चौक पर ही 3 से 4 ट्रेलरों की लाइन लगी रहती है। ऐसे में दोपहिया अथवा हल्के वाहनों में चलने वाले आम लोगों का यहां से पार होना मुश्किल हो जाता है। इसी स्थिति को देखते हुए कुसमुंडा प्रबंधन के रोड सेल विभाग द्वारा थाना चौक में भारी वाहनों को व्यवस्थित करने कांक्रीट के भारी स्लैब लगाने की व्यवस्था की गई है, जिसमें गेवरा टीपर मार्ग की ओर से कुसमुंडा खदान प्रवेश करने वाले ट्रेलर 1 या 2 की ही लाइन लगा सकेंगे। वहीं इमलीछापर रेल्वे फाटक पार कर थाना चौक तक भी इन्हीं कांक्रीट के स्लैब लगाए जा रहे हैं, जिससे खाली ट्रेलर वाहन एक ही लाइन में खदान प्रवेश करें। बाकी ट्रेलरों के लिए पार्किंग की व्यवस्था बनाई गई है। वहीं रोड सेल विभाग के एक अधिकारी ने बताया की अभी 40 कांक्रीट स्लैब और आने हैं, जिन्हें इमलीछापर रेलवे फाटक से थाना चौक तक लगवाना है, जिससे थाना चौक पर जाम की स्थिति नियंत्रित की जा सके और आमजन यहां से आसानी से आवागमन कर सकें। इन तमाम तरह की व्यवस्थाओं के बावजूद ताजा घटनाक्रम यह बता रही है कि ट्रेलर चालक अपनी मनमानी से बाज नहीं आने वाले हैं। उनकी मर्जी चले तो वे नाली नाला पार कर अपनी मंजिल तक पंहुच जाए, चाहे स्वयं या जनमानस का नुकसान ही क्यों न हो जाए।

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