बिजली की डिमांड बढ़ी, नहीं लगे नए संयंत्र
कोरबा। घरेलू बिजली के साथ लगातार राज्य में औद्योगिक व कृषि क्षेत्र में बिजली की मांग बढ़ रही। पिछले पांच साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो औसतन प्रतिवर्ष 7.50 प्रतिशत बिजली की खपत में वृद्धि हो रही। दूसरी ओर नए संयंत्र स्थापना में अभी देरी है।
सर्वाधिक मांग मई माह में रहती है, पर इस बार अप्रैल माह में ही पीक अवर्स में अब तक 5,900 मेगावाट तक मांग पहुंच चुकी है। 6,200 मेगावाट तक बिजली की खपत पीक अवर्स में होने का अनुमान लगाया जा रहा। छत्तीसगढ़ विद्युत कंपनी के पुरानी हो चुकी कोरबा पूर्व ताप विद्युत गृह (440 मेगावाट) संयंत्र को प्रदूषण अधिक होने पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश पर वर्ष 2020 में बंद करना पड़ा था। इसकी भरपाई कंपनी अब तक नहीं कर सकी है।
हसदेव ताप विद्युत संयंत्र (एचटीपीपी) की 210-210 मेगावाट (कुल 840 मेगावाट) की चार इकाई के भरोसे कंपनी की नैय्या पार हो रही। एचटीपीपी में 660-660 मेगावाट की दो इकाई की स्थापना की जानी है। इसके लिए पर्यावरणीय जनसुनवाई भी हो चुकी है। कंपनी ने इस संयंत्र को वर्ष 2029 तक चालू करने का लक्ष्य रखा है, पर काम शुरू नहीं हो सका है। इसके अलावा प्रदेश में 7100 मेगावाट क्षमता के छह नए जल विद्युत संयंत्र लगाने की योजना तैयार की गई है, पर इसकी शुरुआत अभी तक नहीं हो सकी है। संभावना जताई जा रही है कि आचार संहिता खत्म होने के बाद एचटीपीपी व जल विद्युत संयंत्र स्थापना की प्रक्रिया आरंभ होगी।