सौंदर्यीकरण के नाम पर ले ली एक तालाब की जान
कोरबा। भूमिगत जल का संकट पूरी दुनियां में है और इससे भारत भी अछूता नही है। चेन्नई जहां घोषित रूप से भूमिगत जल विहीन शहर है, वही बैंगलोर में भी भूमिगत जल समाप्ति की कगार पर है। वर्षा जल को जमीन के अंदर रिचार्ज करने में तालाबों की महत्वपूर्ण भूमिका है, परंतु अवैध कब्जा और शहरीकरण के कारण वर्षा जल को संरक्षित नहीं कर पा रहे है।
कोरबा के अनेक तालाब अब विलुप्त हो गए हैं। शहर के मध्य शारदा विहार में एक काफी बड़ा तालाब है, जिसे मुड़ादाई तालाब कहा जाता है। इस तालाब के चारों तरफ आवासीय कॉलोनी व अपार्टमेंट बने हुए है। तीन-चार साल पहले तक यह लबालब भरा रहता था, परंतु इसे निगम की नजर लग गई। सौंदर्यीकरण के नाम पर निगम ने कई करोड़ की परियोजना बनाई पर वह काम पूरा तो हुआ नहीं बल्कि तालाब में पानी का जो स्रोत था उस नाले को ही बंद कर दिया गया। पूर्व में शहर का पानी नाले के माध्यम से तालाब में भरा रहता था। अब बारिश के पानी से तालाब में एक दो महीने बहुत थोड़ा पानी रहता है। बाकी समय यह सूखा पड़ा रहता है। तालाब में चूंकि अब कैचमेंट ही नहीं है इसलिए बारिश के पानी से इसका भरना संभव नही है। तालाब के आसपास रहने वाले लोगों का कहना है कि चूंकि अब भूमिगत जल रिचार्ज नहीं हो रहा, इसलिये आने वाले समय में इस क्षेत्र में पेयजल संकट उत्पन होना तय है। उनका कहना है कि निगम तत्काल इस तालाब को पुनर्जीवित करने का प्रयास करे और इस धरोहर को संरक्षित करे।