November 24, 2024

एल्युमिनियम एंप्लाईज यूनियन एटक ने रैली निकालकर मनाया मजदूर दिवस

0 परसाभाठा आजाद चौक से एटक यूनियन कार्यालय तक नारों के बीच निकाली गई रैली
कोरबा।
पूर्व में लिए गए निर्णय अनुसार एल्युमिनियम एंप्लाईज यूनियन (एटक) के द्वारा प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी 1 मई को रैली निकालकर मजदूर दिवस मनाया गया। परसाभाठा आजाद चौक से एटक यूनियन कार्यालय तक, इंकलाब जिंदाबाद, मजदूर एकता जिंदाबाद, अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस अमर रहे, शिकागो के शहीदों को लाल सलाम, दुनिया के मेहनतकशों एक हो, पूंजीवाद मुर्दाबाद, फासीवाद मुर्दाबाद, फासीवाद से कौन लड़ेगा, हम लड़ेंगे हम लड़ेंगे, मजदूर दिवस जिंदाबाद जैसे गगन भेदी नारो के साथ रैली निकाली गई।
एल्युमिनियम एम्पलाइज यूनियन (एटक) के महासचिव सुनील सिंह ने सभी साथियों को मजदूर दिवस पर बधाई देते हुए कहा कि प्रतिवर्ष एक मई को मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाता है इसके पीछे भी बहुत बड़ी कहानी है। मजदूरों को पहले कारखाना में 12 से 18 या 24 घंटे काम करवाया जाता था। अमेरिका के शिकागो शहर में मजदूरों ने आवाज उठाई कि हमें 8 घंटा काम के, 8 घंटा आराम और 8 घंटा परिवार के लिए और यहां से कारखाने के मालिकों के साथ लड़ाई शुरू हो गई। इस लड़ाई में कई श्रमिक नेता एवं श्रमिक शहीद हो गए। उसके बाद एक लंबी लड़ाई लड़ने के बाद मजदूरों को जीत मिली और हर कारखाने में काम करने के 8 घंटे तय हुआ।

छत्तीसगढ़ एटक के प्रदेश महासचिव कामरेड हरिनाथ सिंह ने कहा कि जो सुविधा आज मजदूर को मिल रही है इन सारी सुविधाओं के लिए एक लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी है। तब जाकर मजदूरों को छुट्टी, बोनस, काम के 8 घंटे, ओटी, सामाजिक सुरक्षा का अधिकार प्राप्त हुआ है। मजदूर दिवस मजदूरों का एक बहुत बड़ा त्योहार भी है। अमेरिका के शिकागो शहर में मजदूरों ने आवाज उठाई काम के 8 घंटे के लिए, उसके बाद यह लड़ाई लंबी चली इस लड़ाई में कारखाने के मालिकों द्वारा श्रमिक नेताओं एवं श्रमिकों पर गोली भी चलाई गई। एक अर्से बाद तय हुआ की मजदूरों को कारखाने में 8 घंटे काम करना है। वर्तमान में केंद्र में जो सरकार है वह मजदूर वर्ग किसान वर्ग से हमारे अधिकार छीन लेना चाहती है और मजदूर किसान वर्ग को पूंजीपतियों के हाथों बेच देना चाहती है। संसद में बहुमत की शक्ति का इस्तेमाल उन नीतियों को लागू करने के लिए किया है जो लोगों की आर्थिक भलाई और अधिकारों की कीमत पर कॉरपोरेटों को लाभ कमाने में मदद करती है। श्रमिकों के कानूनी अधिकारों को नष्ट करने के लिए चार श्रमिक विरोधी श्रम कोड संसद में पारित कर दिए गए, बेरोजगारी और महंगाई बढ़ती जा रही है जिस पर सरकार का कोई ध्यान नहीं। ऐसे समय में आज हमें यह तय करना है कि केंद्र में किसकी सरकार होनी चाहिए। वर्तमान में जो सरकार है 2024 में फिर से आ गई तो सबसे ज्यादा हमले मजदूर और किसानों पर होंगे। अंत में कहा कि केंद्र में लोकतंत्रात्मक सरकार आनी चाहिए। मजदूर और किसानों की सरकार होनी चाहिए।
राज्य एटक के सचिव कामरेड एम रजक, एल्युमिनियम एम्पलाइज यूनियन (एटक) के अध्यक्ष एसके सिंह, उपाध्यक्ष धर्मेंद्र तिवारी, संतोषी बरेठ, पवन कुमार वर्मा, सहायक महासचिव धर्मेंद्र सिंह, नरसिम्हा राव, अनूप कुमार, घनश्याम पटेल, अविनाश सिंह, फुलेन्द्र पासवान, मोहम्मद शोएब, विजयलक्ष्मी चौहान, रंभा भाई, बुधवारीन सारथी, इंद्राणी, मुकेश यादव, सुग्रीव यति, तवरेज अहमद, आलेख मलिक, राकेश बर्मन एवं अन्य सैकड़ों साथी इस मजदूर दिवस में शामिल हुए।

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