November 7, 2024

80 वर्ष के बुजुर्ग ने नेशनल मास्टर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में हासिल किया दूसरा स्थान

कोरबा। 80 वर्ष आयु के बुजुर्ग दृश्य मन में आते ही नि:शक्त व्यक्ति की तस्वीर सामने आ जाती है, लेकिन इस अवधारणा को बुजुर्ग बीएल राय ने मिथक साबित किया है। उन्होंने हाल ही में मास्टर एथलेटिक्स ऑफ महाराष्ट्र द्वारा विद्या विहार पूर्व मुंबई में 43वीं नेशनल मास्टर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में शामिल होकर मैन 75 प्लस में लांग जंप में भाग लिया। राय ने लांग जंप में 2.84 मीटर जंप लगाकर चैंपियनशिप में दूसरे स्थान पर रहे, जिसके लिए उन्हें सम्मानित किया गया।
शहर के एमपी नगर निवासी राय बालको के सेवानिवृत्त कर्मी व सृष्टि मेडिकल कॉलेज में स्पोर्ट्स टीचर तथा बालको सेवानिवृत्त मैत्री संघ के सदस्य हैं। 80 वर्षीय राय में खेल के प्रति आज भी जुनून है। जहां कहीं भी मास्टर एथलिट आयोजित होती है वहां वे भाग लेने पहुंचते हैं। मुंबई में आयोजित प्रतियोगिता में जहां हर उम्र व आयु वर्ग के करीब ढाई हजार से अधिक खिलाड़ी देशभर से पहुंचे थे। वहीं वेटरन खिलाड़ियों की संख्या भी कम नहीं थी। छत्तीसगढ़ से संभवत: वे एकलौते खिलाड़ी थे जिन्होंने इस प्रतियोगिता में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए पदक जीतने में सफल रहे। राय ने बताया कि अगले जून में अयोध्या में मास्टर एथलीट आयोजित होने वाली है जिसमें भाग लेने की तैयारी में जुटे हुए हैं। मेडल जीतकर वापस लौटने पर एमपी नगर कॉलोनी में रहने वाले बालको सेवानिवृत्त मैत्री संघ के पदाधिकारियों ने उनका सम्मान किया।
उल्लेखनीय है कि इसके पूर्व भी कई गोल्ड व सिल्वर मेडल जीत चुके हैं। बालको से सेवानिवृत्त होने के बाद वे खेल शिक्षक के रूप में विभिन्न निजी शिक्षण संस्थाओं में सेवाएं देते रहे हैं। वर्तमान में सृष्टि मेडिकल कॉलेज में स्पोर्ट्स टीचर के रूप में सेवा दे रहे हैं। बालको सेवानिवृत्त मैत्री संघ व सृष्टि मेडिकल कॉलेज प्रबंधन द्वारा उन्हें प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए लगातार प्रोत्साहित किया जाता रहा है। उन्होंने बताया कि वे किसी तरह का नशा पान नहीं करते हैं। उन्हें अगर कोई नशा है तो केवल खेलने का। देश के किसी भी कोने में वेटरंस टूर्नामेंट होने की सूचना पर वे उसमें शामिल होना चाहते हैं, जिसकी वजह से वे फिट हैं। यूं कहें कि यह नशा ही उनकी फिटनेश का राज है तो कोई गलत नहीं होगा। आज भी वे रोजाना 15-20 किलोमीटर साइकिलिंग करते हैं। राय ने बताया कि उनके जैसे बहुत से खिलाड़ी हैं जिन्हें प्रोत्साहन की जरूरत होती है। वे चाह कर भी ओपन टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं ले पाते हैं। वजह यह है कि हर खिलाड़ी आने जाने का खर्च वहन नहीं कर पाता है। अगर वेटरन खिलाड़ियों को कोई संस्था-संगठन, जनप्रतिनिधि या औद्योगिक संगठनों का समय-समय पर सहयोग मिले तो वे अपनी प्रतिभा का लोहा आज भी मनवाने तैयार हैं। जरूरत है तो उन्हें नेशनल स्तर की प्रतियोगिताओं के लिए किसी प्रायोजक की।

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