November 7, 2024

मोदी की वापसी मजदूरों की आधुनिक गुलामी की गारंटी : सीपीआई

कोरबा। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी जिला परिषद कोरबा के सचिव पवन कुमार वर्मा ने कहा है कि आज देश में अधिकांश ठेका व संविदा श्रमिक हैं। इन मजदूरों व कर्मचारियों में बड़े पैमाने पर आक्रोश भी है। बने नए लेबर कोड और उसके कारण पैदा होने वाले संकट से भयभीत भी हैं। देश के करोड़ों मजदूरों के हितों को रौंदने के लिए श्रम कानूनों को खत्म कर लेबर कोड बनाने की प्रक्रिया को मोदी सरकार ने अपनी दूसरी पारी में अमलीजामा पहनाया। तीन लेबर कोड औद्योगिक संबंध, सामाजिक सुरक्षा और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यदशाएं पास करा लिए और एक कोड जो मजदूरी के संबंध में है उसे सरकार ने इससे पहले ही 8 अगस्त 2019 को पास करा लिया। इन सभी कोड की नियमावली भी सरकार ने जारी कर दी है। सरकार ने मौजूदा 27 श्रम कानूनों और इसके साथ ही राज्यों द्वारा बनाए श्रम कानूनों को समाप्त कर इन चार लेबर कोड को बनाया है।
सरकार द्वारा लाए गए नए लेबर कोड में सरकार ने काम के घंटे 12 करने का प्रावधान है। व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यदशाएं लेबर कोड के लिए बनाई नियमावली का नियम 25 के उपनियम 2 के अनुसार किसी भी कर्मकार के कार्य की अवधि इस प्रकार निर्धारित की जाएगी कि उसमें विश्राम अंतरालों को शामिल करते हुए काम के घंटे किसी एक दिन में 12 घंटे से अधिक न हो। जबकि यह पहले कारखाना अधिनियम 1948 में 9 घंटे था। मजदूरी कोड की नियमावली के नियम 6 में भी यही बात कहीं गई है। व्यवसायिक सुरक्षा कोड की नियमावली के नियम 35 के अनुसार दो पाली के बीच 12 घंटे का अंतर होना चाहिए। नियम 56 के अनुसार तो कुछ परिस्थितियों, जिसमें तकनीकी कारणों से सतत रूप से चलने वाले कार्य भी शामिल है मजदूर 12 घंटे से भी ज्यादा कार्य कर सकता है और उसे 12 घंटे के कार्य के बाद ही अतिकाल यानी दुगने दर पर मजदूरी का भुगतान किया जायेगा।
न्यूनतम मजदूरी तय करने में श्रमिक संघों को मिलाकर बने समझौता बोर्डों की वर्तमान व्यवस्था को जिसमें श्रमिक संघ मजदूरों की हालत को सामने लाकर श्रमिक हितों में बदलाव लाते थे उसे भी खत्म कर दिया गया है। सरकार ने न्यूनतम वेतन की जगह फ्लोर रेट वेज की बात लाई है जो न्यूनतम मजदूरी से भी बेहद कम है। साथ ही मोदी सरकार द्वारा लाए जा रहे लेबर कोड रोजगार को खत्म करने और लोगों की कार्य क्षमता व क्रय शक्ति को कम करने वाले और मजदूरों की सामाजिक सुरक्षा को नष्ट करने वाले होंगे, जो मजदूरों की गुलामी की गारंटी होगी।

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