पीएचई कर्मी भीषण गर्मी में ग्रामीणों के चेहरे पर लौटा रहे मुस्कान
0 हैंडपंप मैकेनिक चिलचिलाती धूप और गर्मी की फिक्र छोड़कर बहा रहे पसीना
कोरबा। इस भीषण गर्मी में घर से निकले किसी राहगीर की नजर दो ही चीजों की तलाश में होती है। एक तो तपती धूप से बचने घना छांव और सूखते गले की राहत के लिए नलकूप। खासकर ग्रामीण इलाकों में प्यास बुझाने हैंडपंप ही शुद्ध-शीतल जल का सबसे प्रमुख माध्यम होता है। ऐसे में जब कभी किसी हैंडपंप का मुंह सूखने की सूचना मिलती है, पीएचई विभाग के हैंडपंप मैकेनिक चिलचिलाती धूप और गर्मी की फिक्र छोड़कर बिना वक्त गंवाए उस गांव की ओर दौड़ पड़ते हैं। 45 डिग्री सेल्सियस तापमान में औजार थामें पसीना बहाते हैं और हैंडपंप की खराबी दूर कर ग्रामीणों के चेहरे की मुस्कान लौटा जाते हैं।
पीएचई ने खासकर गर्मी के मौसम में शहर से लेकर जिले के अंतिम छोर पर बसे गांवों तक पानी की जुगत सुनिश्चित करने का निर्देश दे रखा है। किसी भी स्थिति में लोगों को पीने के पानी की दिक्कत न हो और कोई परेशानी आए भी तो पीएचई विभाग द्वारा उसके त्वरित निराकरण के इंतजाम भी किए जा रहे हैं। ऐसी ही दिक्कत आने पर इन दिनों 45 डिग्री तापमान की कड़ी धूप में पीएचई के हैंडपंप मैकेनिक मरम्मत के लिए तत्काल पहुंच जाते हैं। इस मौसम में जब लोग घर से निकलने से कतरा रहे हैं तब ये कर्मचारी जज्बा दिखाते हुए गर्मी में काम कर रहे और अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। आम जनता को पेयजल के लिए दिक्कत न हो इसके लिए पीएचई के हैंडपंप मैकेनिकों ने चिलचिलाती धूप में जिले के विभिन्न गांवों में मरम्मत कार्य की कमान संभाल रखी है।
कलेक्टर अजीत वसंत के निर्देश पर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की टीम लगातार ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल की उपलब्धता के लिए कार्य कर रही है। इसी कड़ी में ग्राम पंचायत जिल्गा से हैंडपंप खराब होने की सूचना के तुरंत बाद मैकेनिक गांव पहुंच गए। उन्होंने कड़ी धूप की परवाह किए बिना कार्य शुरू कर दिया। औजार थामकर खराबी ढूंढ़ने में जुट गए और कुछ घंटे में हैंडपम्प के मरम्मत का कार्य पूरा कर दिया।
0 जल अनमोल है, इसकी बचत में सहभागी बनें
गर्मी के मौसम में तापमान बढ़ते ही पानी की खपत और मांग भी बढ़ जाती है। कई हैंडपंप का जल स्तर नीच चले जाता है। कलेक्टर अजीत वसंत ने जनसामान्य से अपील की है कि जल अमूल्य है। जल ही जीवन है इसलिए जल संरक्षण के उपायों को अपनाने की जरूरत है। नलों में टोटियों का प्रयोग करें, अपने गांव में जल संरक्षण के लिए सोख्ता गड्ढा, रेन वाटर हार्वेस्टिंग जैसे उपाय करेंगे एवं जल को व्यर्थ बहने से रोकेंगे। जल संरक्षण की दिशा में काम किया जाएगा।