November 7, 2024

पति की दीर्घायु के लिए महिलाओं ने रखा वट सावित्री व्रत

0 शनि जयंती पर मंदिरों में हुए विविध अनुष्ठान
कोरबा।
ज्येष्ठ माह की कृष्ण पक्ष अमावस्या को वट सावित्री व्रत मनाई जाती है। महिलाएं वट सावित्री की पूजा को लेकर तैयारी में सुबह से जुटी हुई रही। साथ ही शनि जयंती को लेकर मंदिर समिति के लोग तैयारी में जुटे रहे। इस बार वट सावित्री व्रत पर शोभन योग, गजकेसरी योग भी रहा। महिलाओं ने पति की लंबी उम्र के लिए वट सावित्री की पूजा कर व्रत रखा। शनि जयंती पर मंदिरों में विविध अनुष्ठान हुए।
पंडितों के अनुसार वट सावित्री व्रत हर साल कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को रखा जाता है। इस साल यह तिथि काफी महत्वपूर्ण रही, क्योंकि कई साल बाद इस बार वट सावित्र व्रत पर कई शुभ संयोग बना। इस दिन वट सावित्री पर कई शुभ संयोग भी रहे। पंचांग के अनुसार इस दिन धृति योग के साथ शिववास योग का निर्माण हो रहा है। जो इस व्रत के प्रभाव को दोगुना कर देगा। मान्यता है कि वट सावित्री व्रत के दौरान विधि-विधान से पूजा करने से पूजा का फल पूरा मिलता है। महिलाएं यह व्रत अखंड सौभाग्य के लिए करती हैं। इस व्रत में उपवास रखते हैं, ये व्रत सावित्री द्वारा अपने पति को पुन: जीवित करने की स्मृति के रूप में रखा जाता है।
वट वृक्ष को देव वृक्ष माना जाता है। इसकी जड़ों में ब्रम्हाजी, तने में विष्णुजी का और डालियों पर पत्तियों में भगवान शिव का वास माना जाता है। वट वृक्ष की पूजा से दीर्घायु, अखंड सौभाग्य और उन्नति की प्राप्ति होती है। वट सावित्री को लेकर महिलाएं बुधवार को पूरे दिन तैयारी में जुटी रही। गुरुवार को महिलाएं 16 श्रृंगार कर निर्जला व्रत का संकल्प लिया। इस व्रत पर बरगद के पेड़ की पूजा और परिक्रमा की गई। वट वृक्ष में कच्चे सूत को लपटते हुए 12 बार परिक्रमा पर एक भीगा हुआ चना चढ़ाया गया। पूजा के बाद सत्यवान और सावित्री की कथा सुनाई गई।
0 अमगांव दर्राखांचा में की गई पूजा अर्चना

उधर हरदीबाजार क्षेत्र के ग्राम आमगांव दर्राखांचा में पति की दीर्घायु की कामना के लिए सुहागिन महिलाओं ने निर्जला व्रत रखा और वट सावित्री की पूजा की। सर्वप्रथम महिलाओं ने रक्षा सूत्र से वट वृक्ष की 108 बार परिक्रमा करते हुए वट सावित्री माता की पूजा अर्चना की और अपने पति के दीर्घायु एवं परिवार में सुख शांति की कामना की।

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