महिलाओं ने सिंदूर दान की परंपरा का किया निर्वहन
कोरबा। शारदीय नवरात्र का समापन हो गया है। पूजा समितियों से जुड़े लोग देवी माता को विदाई दे रहे हैं। दशमी के दिन देवी मां को सिंदूर लगाकर महिलाओं ने एक दूसरे के साथ सिंदूर खेला। सिंदूर दान के दौरान बड़ी संख्या में महिलाएं उपस्थिति थीं। देवी मां को विदाई देने का उत्साह लोगों में तो था ही लेकिन उनसे विदा होने का गम भी महिलाओं के चेहरे पर देखने को मिला।
नगर के इंदिरा विहार कॉलोनी, साकेतनगर, दर्री रोड, जेपी कॉलोनी ओल्ड पूजा पंडाल, एसईसीएल सुभाष ब्लॉक, शारदा विहार, अमरैय्यापारा, पं. रविशंकर शुक्लनगर, आरपी नगर, एमपी नगर, सीएसईबी पूर्व समेत तमाम स्थानों पर विराजित मां दुर्गा को दशमी के साथ शनिवार को विदाई दी गई। बंगाली कल्चर से आयोजित की जाने वाली दुर्गा पूजा पंडालों में महिलाओं की भीड़ सिंदूर खेलने के लिए जुटी रही। महिलाओं ने एक दूसरे के साथ सिंदूर खेलने की परंपरा निभाते हुए देवी मां को विदाई दी। यह माहौल अन्य आयोजन समितियों के पंडालों में भी रहा। सिंदूर खेलने की रस्म पूरी होने के बाद देवी माता को विदाई दी गई। वाहन पर सवार कराकर देवी प्रतिमा के साथ बाजे गाजे के साथ नाचते गाते आयोजन से जुड़े लोग चल रहे थे। जिन समितियों द्वारा दुर्गा के साथ दशहरा उत्सव का आयोजन किया गया है वे कल प्रतिमा का विसर्जन करेंगे। वहीं जहां केवल दुर्गा उत्सव आयोजित था उन समितियों द्वारा शनिवार से प्रतिमा विसर्जन का दौर शुरू कर दिया गया था। शनिवार को विजयादशमी के साथ महानवमी होने के कारण कई पूजा पंडालों में हवन, कन्या पूजन व भंडारे का आयोजन किया गया।
दर्पण में किया माता के चरणों के दर्शन
श्री सार्वजनिक दुर्गोत्सव समिति की महिला सदस्यों द्वारा माता के चरणों का दर्शन दर्पण में किया गया। मान्यता है कि दुर्गा माता के सामने एक दर्पण रखकर उनके चरणों का दर्शन से घर परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है। इस रस्म के बाद सिंदूर खेलना शुरू किया गया, जिसमें महिलाएं एक दूसरे को सिंदूर लगाकर और धुनुची नृत्य कर माता की विदाई का जश्न मनाया। इसके बाद मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन का दौर शुरू हुआ। यह भी मान्यता है कि देवी मां दुर्गा 10 दिन के लिए अपने मायके आती हैं, जिसे दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता है।