डॉ शिव डहरिया को नहीं है प्रियंका, राहुल और सी एम बघेल की परवाह? युवाओं की उपेक्षा कर रिटायर्ड लेखा अधिकारी को दी संविदा नियुक्ति
कोरबा 13 सितम्बर। एक ओर कांग्रेस का राष्ट्रीय नेतृत्व युवाओं को रोजगार देने के लिए शोर मचा रहा है तो दूसरी ओर छत्तीसगढ़ सरकार में युवाओं की उपेक्षा कर रिटायर्ड लोगों को संविदा नियुक्ति दी जा रही है।यहां सवाल यह है कि कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व युवाओं को छल रहा है या छत्तीसगढ़ के कांग्रेस नेता शीर्ष नेतृत्व की परवाह ही नहीं करते? यह सवाल, नगर निगम कोरबा में पिछले सप्ताह हुई लेखा अधिकारी की संविदा नियुक्ति से उत्पन्न हुआ है।
आपको बता दें कि चार दिन पहले ही शीर्ष कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा और राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि- देश के युवाओं को रोजगार चाहिए। उनकी रुकी हुई भर्तियों की ज्वाइनिंग, परीक्षाओं की डेट, नई नौकरियों की नोटिफिकेशन, सही भर्ती प्रक्रिया और ज्यादा से ज्यादा नौकरियां चाहिए। इसके बदले सरकार कोरे भाषण, लाठियां और उपेक्षा देती है। आखिर कब तक?
प्रियंका और राहुल गांधी ही क्यों छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी पड़ संभालते ही रिटायर्ड लोगों की संविदा नियुक्ति पर रोक की घोषणा की थी। सी एम ने पूर्व सरकार के समय की गई ऐसी तमाम नियुक्तियां रदद् भी की थी। लेकिन आश्चर्य की बात है कि राज्य सरकार के मंत्री ना तो अपने शीर्ष नेतृत्व की चिंता कर रहे और ना ही मुख्यमंत्री की। इसका प्रमाण कोरबा नगर निगम में गत सप्ताह की गई रिटायर्ड लेखा अधिकारी पी आर मिश्रा की संविदा नियुक्ति है।
जानकारी के अनुसार लेखा अधिकारी पी आर मिश्रा के खिलाफ भ्रष्ट आचरण की कई शिकायतें हैं। उनके खिलाफ सेवा निवृत्त होने के बाद भी जांच लम्बित है। फिर भी उन्हें संविदा नियुक्ति दे दी गई। नगर निगम के महापौर राजकिशोर प्रसाद खुद उनका नियुक्ति आदेश लेकर आये हैं, ऐसा बताया जा रहा है। यह भी कहा जा रहा है कि नगरीय निकाय मंत्री डॉ शिव डहरिया ने इस आदेश में निजी रुचि ली है।
बहरहाल सच्चाई जो हो कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व और मुख्यमंत्री की घोषणा के खिलाफ जाकर लेखा अधिकारी पी आर मिश्रा की संविदा नियुक्ति कर दी गई है। इस नियुक्ति का क्या अर्थ समझा जाये? मंत्री डॉ शिव डहरिया को अपने शीर्ष नेतृत्व और मुख्यमंत्री की कोई परवाह नहीं है या राजधानी रायपुर से लेकर दिल्ली तक नवजवानों के रोजगार को लेकर दिखाई जा रही चिन्ता, महज दिखावा है?