नरेश सक्सेना की कविताएं
प्रस्तुति-सरिता सिंह
1- जूते
जिन्होंने ख़ुद नहीं की
अपनी यात्राएं
दूसरों की यात्रा के
साधन ही बने रहे
एक जूते का जीवन जिया जिन्होंने
यात्रा के बाद
उन्हें छोड़ दिया गया घर के बाहर।
2- दीमकें
दीमकों को
पढ़ना नहीं आता
वे चाट जाती हैं
पूरी
किताब।
3- पार
पुल पार करने से
पुल पार होता है
नदी पार नहीं होती
नदी पार नहीं होती नदी में धंसे बिना
नदी में धंसे बिना
पुल का अर्थ भी समझ में नहीं आता
नदी में धंसे बिना
पुल पार करने से
पुल पार नहीं होता
सिर्फ़ लोहा-लंगड़ पार होता है
कुछ भी नहीं होता पार
नदी में धँसे बिना
न पुल पार होता है
न नदी पार होती है।
कुछ लोग
कुछ लोग पांवों से नहीं
दिमाग़ से चलते हैं
ये लोग
जूते तलाशते हैं
अपने दिमाग़ के नाप के।
4-सीढ़ी
मुझे एक सीढ़ी की तलाश है
सीढ़ी दीवार पर चढ़ने के लिए नहीं
बल्कि नींव में उतरने के लिए
मैं क़िले को जीतना नहीं
उसे ध्वस्त कर देना चाहता हूँ।
5- पानी
बहते हुए पानी ने
पत्थरों पर निशान छोड़े हैं
अजीब बात है
पत्थरों ने पानी पर
कोई निशान नहीं छोड़ा
- गोमती नगर, लखनऊ, उत्तरप्रदेश