November 7, 2024

मुख्यमंत्री की गोधन न्याय योजना के अमल में नगर निगम कोरबा साबित हुआ फिसड्डी

कोरबा 14 सितम्बर। नगर पालिक निगम कोरबा की कांग्रेस सरकार और 30- 30 साल से यहां कुंडली मारकर बैठे तथाकथित काबिल अफसरों की प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना में कोई रुचि नहीं है। यही वजह है कि नगर निगम कोरबा न केवल पूरे प्रदेश के नगर निगमों में सबसे फिसड्डी साबित हुआ है, बल्कि कोरबा जिले के नगर पंचायतों से भी स्पर्धा करने में नाकाम साबित हुआ है। इस तथ्य का खुलासा संचालनालय नगरीय प्रशासन एवं विकास की ओर से प्रदेश भर के नगरीय निकायों को आबंटित चतुर्थ किश्त की राशि से होता है।

मिली जानकारी के अनुसार संचालनालय नगरीय प्रशासन एवं विकास की ओर से प्रदेश के सभी नगरीय निकायों को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के न्याय श्रृंखला के तहत प्रभावशील गोधन न्याय योजना की कार्य प्रगति के आधार पर चतुर्थ किश्त की राशि का आवंटन किया गया है। सितंबर के प्रथम सप्ताह में प्रदेश के 14 नगर निगमों सहित 154 नगरीय निकायों को 96 लाख 35 हजार रुपयों की चौथी किश्त का भुगतान किया गया है। प्रदेश के 14 नगर निगमों में सबसे अधिक 850000 की राशि नगर निगम राजनांदगांव को आवंटित की गई है। जबकि सबसे कम राशि मात्र 10000 रुपये का आवंटन नगर पालिक निगम कोरबा को जारी किया गया है। यह राशि कोरबा जिले के नगर पंचायतों से भी काफी कम है। मसलन नगर पंचायत कटघोरा के 22000 और नगर पंचायत पाली के 20000 की तुलना में भी नगर पालिक निगम कोरबा ने प्रदेश के मुख्यमंत्री की इस योजना को काफी कम महत्व दिया है।

बजट की दृष्टि से देखा जाए तो नगर पालिक निगम कोरबा के लगभग 1000 करोड़ रुपयों के मुकाबले में जिले के नगर पंचायत कहीं नहीं ठहरते। लेकिन शासन की योजनाओं के क्रियान्वयन में वह नगर निगम को भी पीछे छोड़ जाते हैं जो नगर निगम में सत्ता सुख भोग रहे नेताओं और राकेट की स्पीड से हजार पति से लखपति और करोड़पति का दर्जा हासिल कर चुके अफसरों की कार्यप्रणाली को उजागर करता है। मजे की बात तो यह है की प्रदेश के मुख्यमंत्री की प्राथमिकता की योजना में जहां नगर निगम सरकार और इनके चहेते अफसर कार्य के प्रति आश्चर्यजनक रूप से उदासीन बने हुए हैं वहीं दूसरी ओर कम प्राथमिकता के कार्यों में भारी रुचि लेकर प्रगति हासिल कर रहे हैं।

नगर पालिक निगम कोरबा के गलियारों से छनकर बाहर आ रही खबरों से पता चलता है कि मुख्यमंत्री के प्राथमिकता की योजनाओं को जान बूझकर उपेक्षित किया जा रहा है। चर्चा के अनुसार इसके पीछे दो मकसद हैं। पहला प्रदेश के मुख्यमंत्री और छत्तीसगढ़ के विधानसभा अध्यक्ष सहित कोरबा लोकसभा क्षेत्र की सांसद को यह संदेश देना कि कोरबा नगर निगम में तो जिले के एक ही नेता की चलती है। और दूसरा, इस जिले में कांग्रेस की राजनीति एक ही नेता करेगा, कोई दूसरा नहीं। दूसरी ओर कांग्रेस की यह आंतरिक राजनीति पिछले कुछ माह से जिले के नागरिकों में ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बनी हुई है।

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