October 6, 2024

अजब गजब छत्तीसगढ़ जिला सहकारी केंद्रीय बैंक बिलासपुर के पूर्व अध्यक्ष देवेंद्र पांडे के खिलाफ 10 साल से लंबित है भ्रष्टाचार की जांच, विधायक ननकी राम कंवर ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से की- ई ओ डब्ल्यू को कार्रवाई की अनुमति देने की मांग

➡️ जिला सहकारी केंद्रीय बैंक बिलासपुर के पूर्व अध्यक्ष देवेंद्र पांडे के खिलाफ 10 साल से लंबित है भ्रष्टाचार की जांच, विधायक ननकीराम कंवर ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से की कार्रवाई की अनुमति देने की मांग

कोरबा 18 सितम्बर। जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित बिलासपुर के तत्कालीन अध्यक्ष देवेंद्र पांडे के खिलाफ आर्थिक अनियमितता का मामला पिछले 10 वर्षों से राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो और सहकारिता विभाग के बीच पत्राचार में ही अटका हुआ है जबकि यह अवधि किसी भी अपराध की जांच और उस पर न्यायालयीन कार्रवाई पूर्ण करने के लिए पर्याप्त कही जा सकती है। बहरहाल छत्तीसगढ़ के पूर्व गृहमंत्री और कोरबा जिले के रामपुर विधानसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ विधायक ननकीराम कंवर ने राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को प्रकरण में कार्रवाई की अनुमति देने के लिए पत्र लिखकर मृतप्राय हो चुके मामले में दोबारा जान फूंक दिया है।

आप माने या ना माने लेकिन यह सच है कि जिला सहकारी केंद्रीय बैंक बिलासपुर के विवादास्पद और बहुचर्चित पूर्व अध्यक्ष देवेंद्र पांडे के खिलाफ सन 2011 में राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो में की गई गंभीर अनियमितताओं की शिकायत अभी भी प्रारंभिक अवस्था में ही लंबित है। यह मामला एक दशक तक क्यों लंबित है और इसके लिए कौन जिम्मेदार है यह शासन के लिए जांच का विषय हो सकता है। हालांकि इस मामले में राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो और सहकारिता विभाग के बीच अभी भी औपचारिकता पूर्ण करने के लिए पत्राचार जारी है। यह अलग बात है कि गत एक दशक से मामले में केवल पत्राचार ही हो रहा है, वह किसी सिरे तक नहीं पहुंच पा रहा है। मजे की बात यह है कि यह शिकायत सन 2011 में ए सी बी ई ओ डब्ल्यू के तत्कालीन प्रमुख एडीजी डीएम अवस्थी के समक्ष प्रस्तुत की गई थी जो इस अवधि में कामयाबी का सफर तय करते हुए आज की तारीख में राज्य के डीजीपी के पद को शोभायमान कर रहे हैं।

उपलब्ध जानकारी के अनुसार सन 2011 में सरकंडा बिलासपुर निवासी बीपी खरे ने राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो में जिला सहकारी केंद्रीय बैंक बिलासपुर के तत्कालीन अध्यक्ष देवेंद्र पांडे और बैंक के मुख्य कार्यपालन अधिकारी डीसी ठाकरे के खिलाफ आर्थिक अनियमितताओं की शिकायत की थी। शिकायत में आरोप लगाया गया था कि उच्च स्तरीय राजनीतिक संबंधों का उपयोग कर बैंक अध्यक्ष पद पर निर्वाचन के लिए आर्थिक अनियमितता कर अध्यक्ष पद पर निर्वाचन के बाद पद का दुरुपयोग कर स्वता और सगे संबंधियों को नियम विपरीत भ्रष्टाचार एवं अनियमितताएं कर आर्थिक हित लाभ प्राप्त किया गया और रिश्तेदारों को लाभ पहुंचाया गया। शिकायत के साथ दस्तावेज भी संलग्न किए गए थे और मामले की जांच कर आरोपियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई किए जाने की प्रार्थना की गई थी। शिकायत में आर्थिक भ्रष्टाचार अनियमितताओं और अनियमितताओं का विवरण भी दिया गया था।

आवेदक वीपी खरे की शिकायत के आधार पर राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने जांच कार्रवाई की दिशा में पहल भी उन दिनों की थी। लेकिन पिछले एक दशक में यह जांच प्रक्रिया परवान नहीं चढ़ पाई है। इतना जरूर है कि मामले में अभी तक खात्मा नहीं डाला जा सका है और वह प्रक्रिया में ही है। इस मामले में ताजी कार्रवाई करीब 6 महीने पहले तक की सामने आई है। ईओडब्ल्यू के पुलिस अधीक्षक ने 7 जनवरी 2020 को सहकारिता विभाग के सचिव को पत्र लिखकर ईओडब्ल्यू की प्रारंभिक जांच क्रमांक 26/11 में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 यथा संशोधित भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 2018 की धारा 17 (क) के तहत जांच हेतु पूर्व अनुमोदन प्रदान करने का आग्रह किया था। सहकारिता विभाग के अवर सचिव सुनील विजयवर्गीय ने उक्त पत्र के साथ शिकायत की प्रति प्राप्त नहीं होने का कथन करते हुए 14 जनवरी 2020 को ईओडब्ल्यू को पत्र लिखकर शिकायत की प्रति उपलब्ध कराने की मांग की। पुलिस अधीक्षक ईओडब्ल्यू ने 2 मार्च 2020 को सहकारिता विभाग को शिकायत की प्रतिलिपि भेजते हुए पूर्व अनुमोदन मांगा। मार्च माह से पूरे देश में कोरोना फैल गया और कहा जा सकता है कि कोरोना के कारण मामला लंबित हो गया है। लेकिन सच तो यह है कि इस बीच सहकारिता विभाग के कामकाज सामान्य दिनों की तरह चलते रहे। बावजूद इसके सहकारिता विभाग के अधिकारियों ने अब तक ईओडब्ल्यू को भ्रष्टाचार के इस गंभीर मामले में कार्रवाई के लिए पूर्व अनुमोदन प्रदान नहीं किया है।सहकारिता विभाग के इस रवैया से विभागीय अधिकारी संदेह के दायरे में आ गए हैं। कहा तो यह जा रहा है कि सहकारिता विभाग से इस मामले की फाइल ही गायब हो गई है।

इस मामले नया मोड़ उस वक्त आ गया जब प्रदेश के पूर्व गृह मंत्री और कोरबा जिले के रामपुर क्षेत्र के विधयक और वरिष्ठ आदिवासी नेता ननकीराम कंवर ने राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिख कर एक दशक से लंबित इस मामले में ई ओ डब्ल्यू को कार्रवाई की अनुमति देने का अनुरोध किया। उन्होंने अपने पत्र में सहकारिता विभाग द्वारा मामला बिना नियम कानून के, अवैध रूप से विधि विभाग को भेजने और विधि विभाग द्वारा सहकारिता विभाग को कार्रवाई करने के लिए कहने का भी उल्लेख है। जबकि सहकारिता विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर सकता। क्योंकि प्रकरण की जानकारी पुलिस विभाग को है। आपराधिक मामलों में पुलिस विभाग ही कार्रवाई करता है। बहरहाल मामला अब मुख्यमंत्री के पाले में चल गया है और उनके निर्णय की प्रतीक्षा है।

नोट- प्रकरण में की गई शिकायत की तथ्यात्म रिपोर्ट न्यूज़ एक्शन में आगे प्रकाशित की जाएगी।

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