कांकेर : वरिष्ठ पत्रकार कमल शुक्ला पर जानलेवा हमला… काँग्रेसी गुंडों ने थाने में लहराई पिस्तौल
मुख्यमंत्री बघेल की घोषणा साबित हुई सफेद झूठ, थाने के अंदर ही पत्रकार से माफियाओं और काँग्रेसी नेताओं ने की मारपीट, वर्दीधारी देखते रहे तमाशा
कांकेर। बस्तर अंचल के वरिष्ठ पत्रकार कमल शुक्ला के साथ भीड़ द्वारा मारपीट का एक वीडियो वायरल हुआ है। वायरल वीडियो में यह साफ दिख रहा है कि कमल शुक्ला को गंदी-गंदी गालियां देते हुए कई लोग बेतहाशा पीट रहे हैैं। उनके कैमरे को तोड़ा जा रहा है उनके कपड़े फाड़ दिए गए हैं।
विदित हो कि बस्तर क्षेत्र के दिग्गज पत्रकार कमल शुक्ला से शनिवार को सैकड़ों लोग मारपीट करने लगे। उन्हें थाने के अंदर से लेकर थाने के बाहर तक जमकर पीटा। पूरी भीड़ तमाशा देखती रही और कमल शुक्ला को बचाने कोई नहीं आया। कमल, बस्तर क्षेत्र के वरिष्ठ पत्रकारों में से एक है और उनकी लेखनी लगातार बस्तर अंचल के समसामयिक मुद्दे और बस्तर चिंतन को लेकर ही लिखती रही है। हाल में उनकी लेखनी के रडार में पुलिस महकमा भी आया था जिससे उनके खिलाफ एक कैंपेन चलाया गया। उन्होंने नगर कांग्रेस की कड़ी समीक्षा की थी जिसको लेकर वह कांग्रेस के नेताओं की नज़रों में चढ़े थे।
आज इन सभी को एक साथ मौका तब मिल गया जब एक पत्रकार साथी के कहने पर कमल शुक्ला थाने पहुंचे। उन्हें जानकारी मिली थी कि एक पत्रकार साथी को थाने बुलाकर प्रताड़ित किया जा रहा है। कमल अन्य पत्रकार साथियों के साथ वहां पहुंच गए। कमल को मौके पर देखकर पुलिस और कांग्रेसी भड़क गए और उन्होंने अपनी पुरानी भड़ास उन पर निकाल दी। मिली जानकारी के अनुसार थाने के अंदर में ही कुछ नेताओं ने कमल पर बंदूकें तान दी थी और वहीं पीटने लगे। कमल के नजदीकी लोगों ने आरोप लगाया है कि कमल लगातार पुलिस से सुरक्षा की गुहार लगा रहे थे लेकिन पुलिस सारा माजरा चुपचाप देख रही थी। थाने के बाहर कमल शुक्ला को भीड़ द्वारा पीटे जाने का वीडियो वायरल हो गया है. जिसे देख कर लोगों में आक्रोश है। सोशल मीडिया पर लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के समर्थन में लोगों की प्रतिक्रियाएं आ रही है. और साथ ही साथ उन मारपीट करने वाले लोगों पर कठोर कार्रवाई की मांग भी की जा रही है।
कहा गए पत्रकार के दोनों हितेषी रुचिर और विनोद ?
आज सोशल मीडिया पर कांकेर की घटना को देख,बेहद दुख का विषय छग के पूरे पत्रकार साथियो को हुआ, धिक्कार ऐसे खाकी को जो थाने के अंदर ही असामाजिक तत्व,जिला बदर,रेत माफिया व्यूह रचना कर खबर को लेकर एक निहत्थे और अकेले पत्रकार के ऊपर बेरहमी के सांथ मारपीट किया जाता हैं, गन्दी गाली दी जाती हैं, 50 से अधिक गुंडे एक निहत्थे पत्रकार पर हमला करते हैं, जिसे सुन छग प्रदेश में पत्रकारों की शान के नाम से विख्यात कमल शुक्ला जी कांकेर थाना पहुचते हैं, और बीच बचाव की कोशिश करते हैं, जिन पर भी ये गुंडे घात लगाकर बैठे आसामाजिक तत्त्वों द्वारा श्री शुक्ला जी पर भी बेरहमी के सांथ हमला कर शरीर को गंभीर रूप से छती पहुचाते हैं, ये वही कमल शुक्ला हैं, जो विधानसभा चुनाव के पूर्व कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से मिल कांग्रेस सरकार अगर प्रदेश में आती हैं, तो 100दिनों के अंदर पत्रकार सुरक्षा कानून और विधानसभा के पहले सत्र में भाजपा शासन काल मे द्वेष वश हुए fir को खात्मा किए जाने की बात रखी तब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता काफी प्रभावित हुए और विधानसभा चुनाव के जनघोषणा पत्र में विशेष रूप से स्थान देकर वर्णन किया गया।
लेकिन बड़े दुर्भाग्य की बात हैं, कांग्रेस सरकार को 3 साल होने को हैं, पर अपने वादे भूलकर अभी भी कुम्भकर्णी नींद में सोई हुई हैं।
कांकेर कलेक्टर के इशारे पर हुआ हमला,रेत माफियाओं को मारपीट करने एवं थाना प्रभारी कांकेर को एक्शन न लेने किया गया था इशारा
पत्रकार साथी व सूत्रों का मानना हैं कि वरिष्ठ पत्रकार कमल शुक्ला पिछले कुछ महीनों से रेत माफियाओं के खिलाफ लगातार खबर बना रहे थे,जिसके चलते कांकेर कलेक्टर और रेत माफिया तिलमिला गए थे,जिसके कारण ही किया गया जानलेवा हमला
भूपेश सरकार वादा केवल दिखावा
पिछले 10 जून से पूरे छग में रेत परिवहन कागजो में बंद हो जाती हैं, सबको पता है,पर रेत से सोना निकालने का खेल बदस्तूर जारी हैं,जिसे लेकर रेत माफिया द्वारा धमतरी छेत्र में भी तांडव मचाए हुए हैं,लात घुसे तो सामान्य बात है, जिसे लेकर पिछले विधानसभा सत्र के दौरान स्वयं छग के सीएम जोर-शोर से गरजते हुए कहा था,रेत माफियाओ की गुंडागर्दी बिल्कुल नही चलेगी,लेकिन टे-टे फिस्स कांकेर कलेक्टर के संरक्षण में अब खुलेआम खनिज संपदा का दोहन हो रहा हैं,जहां नियम कायदे कानून केवल दिखावे के लिए हैं।
पहले भी कमल शुक्ला पत्रकार सुरक्षा कानून की कर चुके हैं मांग
शुक्ला केवल अभी नही विगत कई वर्षों से पत्रकार सुरक्षा की मांग कर चुके हैं, जिनके द्वारा प्रदेश भर के पत्रकार के सांथ मिलकर जांजगीर, बिलासपुर, रायगढ़, बस्तर, दुर्ग,रायपुर सहित देश की राजधानी दिल्ली स्थित जंतर मंतर पर भी प्रदेश भर के पत्रकारों को लेकर जंतर मंतर पर धरना दे चुके हैं।उस समय छग में भाजपा की सरकार थी,सांथ ही वर्ष गुजरने के बावजूद पत्रकार सुरक्षा की मांग को लेकर वर्तमान सरकार के समय में भी अनशन कर चुके हैं, जिसे तुड़वाने और मनाने स्वयं मुख्यमंत्री के सलाहकार विनोद वर्मा व रुचिर गर्ग ये आश्वासन देकर अनशन तोड़वाया था कि जल्द ही पत्रकार सुरक्षा कानून लागू होगा और पत्रकारों के खिलाफ पूर्व सरकार के कार्यकाल के समय के fir को खात्मा किया जाएगा लेकिन अभी तक कुछ नही हुआ लेकिन ये दोनों की पदोन्नति लगातार जरूर हो रही हैं।