September 22, 2024

हाथी अभ्यारण्य क्षेत्र विस्तार का निर्णय, सार्थक ने किया स्वागत

कोरबा 8 अक्टूबर। समाज सेवी संस्था सार्थक ने लेमरू नकिया हाथी अभ्यारण्य का क्षेत्रफल बढ़ाने के राज्य शासन के निर्णय का स्वागत किया है। साथ ही इस अभ्यारण की स्थापना वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम -1972 की धारा- 36 (ए) के तहत किये जाने का सुझाव दिया है। इस आशय का एक पत्र मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भेजा गया है।

संस्था के सचिव लक्ष्मी चौहान ने यह जानकारी दी हैं। उन्होंने बताया कि वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 में 03 ऐसे प्रावधान है। जिसके तहत राज्य सरकार किसी वन्य प्राणी क्षेत्र को संरक्षित कर सकती है। यह प्रावधान राष्ट्रीय उद्यान, अभ्यारण और संरक्षण रिजर्व बनाने से संबंधित है। राष्ट्रीय उद्यान या अभ्यारण बनाने में भविष्य में वनवासियों के विस्थापन का खतरा होता है, जबकि 2003 संशोधन के आधार पर आयी धारा 36 (ए) के तहत समस्त शासकीय भूमि को अधिसूचित कर वृहद क्षेत्र को संरक्षण रिजर्व बनाने से वनवासियों के लिये कभी विस्थापन का खतरा नहीं होता। और ना ही वनक्षेत्र में उनके निजी या सामुदायिक अधिकार प्रभावित होते है। लघु वन उपज के संग्रहण में भी कोई रोक नहीं लगती अर्थात हाथी रिजर्व क्षेत्र के अन्दर पड़ने वाले गांवों के निवासियों के खेत मकान या आजिविका पर कोई भी विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा।

पत्र मेंं कहा गया है कि कुछ राज्यों ने जो हाथी रिजर्व बनाये हैं उनमें कोई कानूनी संरक्षण इसलिये नहीं है क्योंकि उनका गठन वन्य प्राणी अधिनियम 1972 के तहत राज्य के द्वारा ना किया जा कर केन्द्र सरकार द्वारा प्रशासनिक तौर पर किया गया है। लेमरू के 450 वर्ग किलोमीटर की प्रशासनिक स्वीकृति इसी के तहत थी। अगर छत्तीसगढ़ हाथी रिजर्व क्षेत्र को 450 वर्ग कि. मी. को बढ़ाने का प्रस्ताव केन्द्र को भेजेगा तो सम्भव है कि वहा मामला लटक जाये। इसलिये यह सबसे उपयुक्त है कि छत्तीसगढ़ शासन स्वयं हाथी रिजर्व का गठन धारा 36 (ए) के तहत करे।

पत्र मेंं कहा गया है कि धारा 36 (ए) में संरक्षण रिजर्व बनाने की प्रक्रिया में ग्राम पंचायत /ग्राम सभा से कंसल्टेंशन (चर्चा) का प्रावधान है। यह औपचारिकता राज्य शासन सभी संबंधित जिला कलेक्टरों को निर्देश देकर करा सकती है। हाथी रिजर्व क्षेत्र में आने वाले गांवों की सम्पत्ति या आजीविका पर जहां कोई विपरित प्रभाव नहीं पड़ेगा, वहीं सभी गांवों को हाथी रहवास क्षेत्र विकास के लिये प्रतिवर्ष धन राशि भी आबंटित होगी। अर्थात जहां इस क्षेत्र के गांव भविष्य में कोयला खनन के लिए होने वाले विस्थापन से बचेंगे, वहीं उनको खर्च के लिए राशि भी मिलेगी। हसदेव अरण्य क्षेत्र की सभी ग्राम सभाओं से हाथी रिजर्व बनाने का प्रस्ताव पूर्व में ही पारित किया जा चुका है। पत्र के साथ ग्राम सभा, ग्राम पंचायत के प्रस्ताव का प्रारूप भी संलग्न किया गया है।

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