November 22, 2024

गैर-भाजपा नेताओं में विपक्ष की कमान कौन संभालेगा?

नरेन्द्र मेहता

दिल्ली 5 अप्रेल: शिव सेना के मुखपत्र में लिखा गया कि शरद पवार को यूपीए की कमान संभालनी चाहिए क्योंकि यूपीए का नेतृत्व कमजोर हो गया है। दूसरी तरफ डीएमके सुप्रीमो एमके स्टालिन ने अपना दांव राहुल गांधी पर लगाया है। उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान अपील करते हुए कहा कि गांधी को आगे आना चाहिए और विपक्ष की कमान संभालनी चाहिए। इस बीच तृणमूल कांग्रेस की नेता और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भाजपा और केंद्र सरकार से लोकतंत्र और संसदीय व्यवस्था को खतरा बताते हुए विपक्षी पार्टियों को चिट्ठी लिखी है। वैसे तो यह चिट्ठी अपने विधानसभा सीट के चुनाव से ठीक पहले मैसेज देने के लिए लिखा गया कि वे पूरे देश की नेता हैं और उनका कद बहुत बड़ा है.
जब गैर भाजपा नेताओं पार्टियों की स्थिति इस प्रकार की हैं तो इस बात को कैसे मान लिया जाये कि ये सब एक मंच के नीचे आकर अपनी एकजुटता बताएंगे और भाजपा का डटकर मुकाबला करेंगे.सवाल यह उठता हैं कि विपक्ष का नेतृत्व कौन संभलेगा? भाजपा के विरोध की राजनीति करने वाली पार्टियों ने खुद ही इसे मुद्दा बना दिया है.आपको बताते चले कि एक तरफ डीएमके सुप्रीमो एमके स्टालिन ने अपना दांव राहुल गांधी पर लगाया है। उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान अपील करते हुए कहा कि राहुल गांधी को आगे आना चाहिए और विपक्ष की कमान संभालनी चाहिए। तमिलनाडु में स्टालिन की पार्टी कांग्रेस के साथ मिल कर चुनाव लड़ रही है और स्टालिन ने टिकट बंटवारे में कांग्रेस को उसकी हैसियत बताते हुए 25 सीटें दीं। वे खुद इतनी सीटो से लड़ रहे हैं कि सरकार बनाने के लिए दूसरी पार्टियों पर निर्भर नहीं रहना पड़े। फिर भी राहुल गांधी की तारीफ करने और उन्हें विपक्ष की कमान संभालने वाला नेता बनाने का उनका बयान कांग्रेस को अच्छा लगा है। चुनाव के बाद अगर वे मुख्यमंत्री बनते हैं तो यूपीए के अंदर उनका समर्थन राहुल के लिए बहुत फायदे वाला होगा।
अब रही बात शिवसेना की तो वह यूपीए का हिस्सा न होते हुए भी यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी के नेतृत्व पर सवाल खड़ा करने की कोशिश की,

शिवसेना सांसद संजय राउत की तरफ से एक बार फिर से यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी की जगह किसी और को यूपीए चेयरपर्सन की जिम्मेदारी संभालने की बात कही गई है. इस बार संजय राउत ने शरद पवार का नाम भी आगे बढ़ाया है. संजय राउत ने कहा कि शरद पवार यूपीए के नए चेयर पर्सन की जिम्मेदारी संभाल सकते हैं और पवार साहब के जिम्मेदारी संभालने से यूपीए भी मजबूत होगा और उसको नये सहयोगी भी मिलेंगे.
शिवसेना सांसद संजय राउत ने शरद पवार के नाम को आगे बढ़ाते हुए कहा कि यूपीए मौजूदा दौर में कमजोर होती जा रही है. ऐसे में अगर एनडीए को चुनौती देनी है तो जरूरी है कि यूपीए की कमान अब कोई और संभाले. संजय राउत ने सोनिया गांधी की खराब सेहत का हवाला देते हुए कहा कि सोनिया गांधी ने सालों तक यूपीए को एक साथ रखकर आगे बढ़ाने का काम किया है लेकिन अब सोनिया गांधी का स्वास्थ्य ठीक नहीं है और मौजूदा दौर में कांग्रेस पार्टी खुद भी कमजोर हो रही है. संजय राउत ने कहा कि शरद पवार के यूपीए चेयरपर्सन की जिम्मेदारी संभालने से यूपीए से वो दल भी जुड़ेंगे जो फिलहाल मौजूदा यूपीए के साथ जुड़ना नहीं चाहते.
ध्यान रहे 2004 में यूपीए बनने के बाद से ही उसकी कमान कांग्रेस और उसकी अध्यक्ष सोनिया गांधी के हाथ में रही है। शरद पवार तो 2014 में यूपीए से अलग होकर विधानसभा का चुनाव भी लड़े थे। सो, यह संभव नहीं है कि कांग्रेस आसानी से यूपीए का नेतृत्व छोड़ेगी।
संजय राउत के इस तरह के बयान के बाद कांग्रेस की तरफ से सांसद नासिर हुसैन ने जवाब देते हुए कहा कि फिलहाल यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी है और अभी चेयरपर्सन पद के लिए कोई वैकेंसी मौजूद नहीं है. कांग्रेसी सांसद ने कहा कि हर शख्स की एक अपनी महत्वाकांक्षा हो सकती है और उस पर राय हो सकती है लेकिन उसको यूपीए की राय के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए क्योंकि यूपीए सोनिया गांधी के नेतृत्व में ही आगे बढ़ा है और बढ़ रहा है.
वहीं यूपीए का हिस्सा आरजेडी के सांसद मनोज झा ने कहा कि फिलहाल कोशिश इस बात की होनी चाहिए कि ऐसे मुद्दों पर बात हो जो सीधे जनता से जुड़े हुए हो और जिनके जरिए जनता तक पहुंचा जा सके. क्योंकि मौजूदा दौर में कौन चेहरा हो या ना हो इस बात से ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि कैसे जनता के बीच पहुंच कर उनको भरोसा दिया जा सके और समर्थन हासिल किया जाए.
अब रही बात तृणमूल कांग्रेस की नेता और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तो उनकी पार्टी अगर
अगर बंगाल के चुनाव में जीतती है तो राष्ट्रीय स्तर पर ममता की बहुत मजबूत दावेदारी होगी। कांग्रेस के चिढ़े अनेक क्षत्रप हैं, जो उनका साथ दे सकते हैं.किन्तु ममता ने अपनी जीत से पहले ही सियासी दांव चल दिया,उन्होंने भाजपा और केंद्र सरकार से लोकतंत्र और संसदीय व्यवस्था को खतरा बताते हुए विपक्षी पार्टियों को चिट्ठी लिखी है। वैसे तो यह चिट्ठी अपने विधानसभा सीट के चुनाव से ठीक पहले यह मैसेज देने के लिए लिखा गया कि वे पूरे देश की नेता हैं और उनका कद बहुत बड़ा है। ममता की तरफ से गैर भाजपा नेताओं को पत्र लिखने को लेकर कांग्रेस ने उन पर पलटवार किया हैं
कांग्रेस के दिग्गज नेता और पश्चिम बंगाल के प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा है कि चुनाव से पहले ममता बनर्जी को सोनिया गांधी क्यों नहीं याद आई. इस दौरान अधीर रंजन चौधरी ने ममता बनर्जी पर इल्जाम लगाते हुए कहा कि वह पश्चिम बंगाल में कांग्रेस और लेफ्ट के संयुक्त मोर्चे से डर गई हैं, जिसके बाद उन्होंने यह कदम उठाया है.
अधीर रंजन चौधरी ने कहा है कि, ”ममता बनर्जी कांग्रेस और लेफ्ट के संयुक्त मोर्चे से डर गई हैं. जिन पर उन्होंने सालों से जुल्म किया है, अब वह मोर्चा बढ़ता हुआ नज़र आ रहा है, तो डर से ये प्रस्ताव दे रही हैं. हमारा उद्देश्य स्पष्ट है, भाजपा और टीएमसी दोनों को हराना.” अधीर रंजन ने सवाल किया कि, ”ममता बनर्जी ने चुनाव से पहले सोनिया गांधी को प्रस्ताव क्यों नहीं दिया. यदि अब ये बोल रहीं तो दिल्ली जाकर सोनिया गांधी से मिलें, उनसे माफी मांगे. इसके बाद पार्टी का नेतृत्व फैसला करेगा कि क्या करना है.”

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