November 22, 2024

ये क्या हो रहा हैं: पूर्व राजनयिक अशोक अमरोही की अस्पताल के बाहर तड़फ तड़फ कर हो गई मौत


■ लोकप्रिय अमरोही के प्रति कई देशों ने शोक संवेदना व्यक्त की

गुड़गांव 30 अप्रैल: कई देशों में भारतीय राजदूत रह चुके अशोक अमरोही 5 घंटे से ज्यादा वक्त तक अस्पताल के बाहर इलाज के लिए तड़पते रहे, लेकिन उन्हें अस्पताल में दाखिला नहीं मिला और फिर अशोक अमरोही की तड़प-तड़पकर मौत हो गई।

जानकारी के अनुसार भारतीय राजनयिक रह चुके अशोक अमरोही को गुड़गांव के मेदांता अस्पताल के बाहर भर्ती कराने लाया गया लेकिन उन्हें करीब पांच घण्टे से ज्यादा वक्त तक अस्पताल की पार्किंग में भर्ती होने के लिए इंतजार करना पड़ा इसके बावजूद भी उन्हें अस्पताल में दाखिला नहीं मिला.बताया जाता हैं कि मेदांता अस्पताल मे अशोक अमरोही के परिवार वालों को कागजी कार्रवाई में ही उलझाए रखा लेकिन उन्हें भर्ती नहीं किया.अन्तः अशोक अमरोही की इलाज के अभाव पार्किंग स्थल पर ही तडफ़ तडफ़ कर मौत हो।यदि स्थिति की गंभीरता को देखते हुए अस्पताल प्रबंधन द्वारा अमरोही की तबीयत पर लापरवाही न बरती होती तो अमरोही दर्दनाक मौत नहीं होती.

दूसरी तरफ पूर्वराजनयिक अशोक अमरोही का निधन हो चुका है तो तमाम नेता उन्हें शोक संदेश समर्पित कर रहे हैं। भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ट्वीट कर अशोक अमरोही को अपना अच्छा दोस्त बताया है लेकिन इस सवाल का जबाव कोई देने के लिए तैयार नहीं है कि आखिर अशोक अमरोही को अस्पताल में भर्ती क्यों नहीं किया है और इस लापरवाही के लिए किसे दोषी ठहराया जाए। अशोक अमरोही ब्रूनेई, अल्जीरिया, मोजांबिया में भारत के प्रतिनिधि के तौर पर काम कर चुके है।

अशोक अमरोही की मौत के बाद अल्जीरिया में भारतीय दूतावास ने शोक जताया है। वहीं कई और देशों ने भी अशोक अमरोही के निधन पर शोक जताया है। कतर ने भी अशोक अमरोही के निधन पर शोक जताते हुए कहा है कि वो कतर में भारतीय समुदाय के बीच काफी लोकप्रिय थे।

अशोक अमरोही के परिवारवालों का आरोप है कि अस्पताल ने उन्हें दाखिले के लिए रात 8 बजे बुलाया था और वो साढ़े सात बजे अस्पताल पहुंथे थे। अस्पताल ने उन्हें बेड नंबर भी दे दिया लेकिन कोरोना जांच के नाम पर उन्हें डेढ़ घंटे तक बाहर ही रखा गया। इस दौरान अशोक अमरोही कार की अगली सीट पर बैठे हुए थे। अशोक अमरोही की पत्नी यामिनी के मुताबिक ‘उनका बेटा अस्पताल में भर्ती प्रक्रिया के लिए लाइन में लगा हुआ था लेकिन अस्पताल वाले प्रोसेस के नाम पर लगातार लेट लगा रहे थे। इस दौरान अशोक अमरोही की स्थिति और खराब बिगड़ गई। इस दौरान मैं खुद कई बार अस्पताल वालों के पास दौड़कर कहने गई कि उन्हें जल्दी भर्ती कर लिया जाए क्योंकि उनकी स्थिति लगातार बिगड़ रही थीं। मैं चिल्ला रही थी, लेकिन कोई उनकी तरफ ध्यान देने के लिए तैयार नहीं था। उनकी सांसे उखड़ रही थी लेकिन किसी ने उनकी मदद नहीं की। अस्पताल ने ना उन्हें स्ट्रेचर दिया और ना ही व्हील चेयर।

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