साहित्य हिन्दी सुरेशचंद्र शर्मा के दो गीत Markanday Mishra August 12, 2020 गीत 01गीत भला क्या लिखूँटूटे मस्तूलों पर गीत भला क्या लिखूँसागर के कूलों पर गीत भला क्या लिखूँहल्दी सी फैल गई धूप द्वार द्वार मेंहरियाली लेट गई माघ के मजार मेंमेंड़ के बबूलों पर गीत भला क्या लिखूँनदिया के पानी में तैर रहा गाँव हैलहरों पर थिरक रहे चंदा के पाँव हैटूटे हुए झूलों पर गीत भला क्या लिखूँसूरज के साथ साथ डूब गई परछाईचंदा की सगी बहन लगती है तनहाईअंतर के शूलों पर गीत भला क्या लिखूँअन्न के गोदामों में फैल गये व्याल हैंसड़कों पर टंग गये सैकड़ों कंकाल हैंबुझे हुए चूल्हों पर गीत भला क्या लिखूँगीत 02चल रे मन चलपंथहीन लक्ष्यहीनदिशाहीन जीवनखाते हैं भूख लोगपीते आश्वासनसपने समाजवाद केलगते रीतेगरीबी बेकारीहम बाँट बाँट जीतेकागज के खेलों मेंचल रे मन चलनरगिसी निगाहों कानीरव आमंत्रणस्वीकारें कैसेसन्यासी पाया मनमरूथल में कैसेजग जाए तुलसी दलअंधियारे अंतर मेंबिजली थी तुमजीवन के गदय मेंकजली थी तुमआई क्यों छलिया सीऔर गई छलपावस की हत्या करउग आई कासचिढ़ा रही पत्थर परउगी हुई घासबीत गया सावनन आए बादल Spread the word Continue Reading Previous कमलेश भट्ट कमल, दो गज़लNext विनोद पदरज, नाज़िम हिकमत और विजय सिंह की कविताएं Related Articles कोरबा छत्तीसगढ़ जरूरी खबर साहित्य डॉ.निशंक का रचना संसार साहित्य महाकुंभ समारोह में डॉ.ऊषी बाला गुप्ता सम्मानित Markanday Mishra October 30, 2022 कोरबा छत्तीसगढ़ जरूरी खबर प्रेरणा भाषा संस्कृति साहित्य एनटीपीसी कोरबा में राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए हिन्दी पखवाड़ा 2022 के तहत विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन Markanday Mishra September 30, 2022 आस्था कला कोरबा छत्तीसगढ़ जरूरी खबर संगठन संस्कृति साहित्य छत्तीसगढ़ की लोक कला, परंपरा व संस्कृति को बचायें: पुरुषोत्तम Markanday Mishra September 29, 2022