October 6, 2024

खदान में पार्किंग की नहीं मिल रही पर्याप्त जगह

0 कोरबा-कुसमुंडा मार्ग पर लगता है जाम
कोरबा।
कुसमुंडा की सड़क पर लगने वाले जाम का बड़ा कारण कोयला परिवहन करने वाली गाड़ियां हैं। इनकी पार्किंग सडक़ पर होती है। जाम से छुटकारा तब ही मिल सकेगी जब प्रबंधन खदान के भीतर कोयला परिवहन करने वाली गाड़ियों की एंट्री कराए और बड़ा पार्किंग स्थल पर खड़ा करे। हालांकि प्रबंधन की ओर से कुसमुंडा में कुछ स्थान पर पार्किंग की व्यवस्था की गई है, जो जरूरत से कम है। इस पार्किंग में बड़ी मुश्किल 100 से 150 गाड़ियां खड़ी हो सकती है।
कुसमुंडा क्षेत्र में मुख्य मार्ग पर लगने वाले जाम ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है। स्थानीय लोगों को कोरबा की ओर आने जाने में दिक्कत हो रही है। स्कूली वाहन भी फंस रही हैं। जाम को रोकने के लिए एसईसीएल प्रबंधन की ओर से ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। जाम का सबसे बड़ा कारण कोयला परिवहन करने वाली गाड़ियां हैं। बताया जाता है कि वर्तमान में कुसमुंडा खदान के स्टॉक से सड़क मार्ग के रास्ते कोयला ढोने के लिए ट्रांसपोर्टरों के बीच होड़ मची है। रोजाना 500 से 600 ट्रेलर पहुंच रहे हैं, जबकि गेट से खदान में घुसने के लिए कुसमुंडा प्रबंधन लगभग 300 गाड़ियों को रोजाना टोकन दे रहा है। लगभग इतनी ही गाड़ियों को खदान में घुसने के लिए अनुमति नहीं मिल रही है। ये गाड़ियां गेट के बाहर सड़क पर लग रही हैं। सड़क पर गाड़ियों की लाइन इतनी लंबी हो रही है कि कुसमुंडा थाना चौक, इमलीछापार तक जाम हो रहा है। बांकीमोंगरा और दीपका की ओर आने जाने वाले लोग भी परेशान हो रहे हैं। सड़क पर छोटी बड़ी सवारी गाड़ियों को चलने के लिए जगह नहीं मिल रही है। बड़ी मुश्किल से बाइक निकल रही है। कई बार सर्वमंगला मंदिर तक की सड़क पर कोयला लोड गाड़ियां खड़ी हो जाती है। इससे समस्या और गंभीर हो जाती है।
0 समस्या का खोजना होगा स्थायी समाधान
सड़क पर खड़ी गाड़ियों के खिलाफ कुसमुंडा पुलिस ने कार्रवाई शुरू की है। गाड़ियों को जब्त कर चालान कर रही है। मगर पुलिस की यह कार्रवाई समस्या का स्थाई समाधान नहीं है। इसके लिए प्रशासन के साथ मिलकर प्रबंधन को पहल करने की जरूरत है ताकि सड़क पर कोयला लोड या खाली गाड़ियां खड़ी नहीं हो सके। इन गाड़ियों की पार्किंग की व्यवस्था खदान के भीतर होनी चाहिए। खदान की सड़कों के कारण अन्य क्षेत्रों में भी परेशानी हो रही है। कुसमुंडा के साथ दीपका की स्थिति भी खराब है।

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