सड़कों को लेकर जोगी को याद कर रहे लोग
न्यूज एक्शन। बीओटी ठेका समाप्त होने के बाद सड़कों की हालत पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है। सड़कों के स्थान पर गड्ढें ही गड्ढे नजर आ रहे है। कोरबा-चांपा और कोरबा-बिलासपुर मार्ग का हाल बेहाल हो चुका है। इन सड़कों पर अब गुजरना मुश्किल हो चुका है। ऐसी स्थिति में बीओटी की याद आम लेागों को आने लगी है। प्रदेश के पूर्व मुखिया को भी इस नाते लोग याद कर रहे हैं। क्योंकि बीओटी के दौरान सड़कों का सुधार कार्य तत्काल किया जाता था और लोगों को राहत मिल जाती थी। शासकीय होने के बाद प्रक्रिया इतनी लंबी होती है कि बरसात का समय ही निकल जाएगा और सुधार कार्य नहीं हो पाएगा। आम लोगों को कोई राहत मिलने की उम्मीद नहीं है।
छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने बहुत सोच समझकर प्रदेश की कई सड़कों को बीओटी के तहत ठेकेदारों को आबंटित कर दिया था। जिसमें ठेकेदार द्वारा पथकर वसूले जाने के साथ सड़कों का निर्माण एवं सुधार कार्य करना शामिल था। 14 वर्षों के लिए यह कार्य दिया गया था। जिसमें कोरबा-चांपा और कोरबा-बिलासपुर मार्ग के अलावा कोरबा-अंबिकापुर मार्ग भी शामिल था। जब तक बीओटी ठेकेदार कार्य करता रहा तब तक सड़कों की दुर्दशा इतनी नहीं होती थीं। जितनी अब हो रही है। पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी द्वारा जो निर्णय लिया गया था। वह एक अच्छा निर्णय था। क्योंकि उन्हें मालूम था कि शासकीय प्रक्रिया में एक लंबा समय लगता है और उससे सड़कों की स्थिति समय पर नहीं सुधारी जा सकती। निजी ठेकेदार द्वारा अपने लाभ के लिए निश्चित रूप से सड़कों का सुधार कार्य किया जाएगा और यह देखने में भी आया है। आज लोगों को जोगी के निर्णय की उपयोगिता याद आ रही है। इन्हीं निर्णयों से साबित होता था कि श्री जोगी प्रशासनिक अधिकारी होने के कारण इससे भलीभांति वाकिफ थे।
सिटी बस बना
दूसरा रापनि
सिटी बसों की खस्ताहाल को लेकर भी पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी को लोग याद कर रहे हैं। राज्य परिवहन निगम का दूसरा रूप सिटी बस बन गई है। छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद उन्होंने घाटे में चल रही राज्य परिवहन निगम को बंद कर दिया था और यहां कार्यरत कर्मचारियों को व्हीआरएस के साथ दूसरे विभागों में मर्ज कर दिया गया था। राज्य परिवहन निगम की बस तो बंद हो गई लेकिन दो साल पहले सिटी बसों का संचालन शासन द्वारा शुरू कर दिया गया। एक निजी कंपनी को संचालन का जिम्मा सौंपा गया। उक्त कंपनी द्वारा अभी तो संचालन किया जा रहा है, लेकिन कुछ मार्गो पर सिटी बसों का संचालन जिले में बंद कर दिया गया है। इसका कारण यह बताया जा रहा है कि घाटे का सौदा होने के कारण ठेका कंपनी नहीं चला रही है वहीं बसों में रखरखाव में खर्चा आना शुरू हो गया । जिससे चालू हालत की बसों को तो चलाया जा रहा है लेकिन खराब बसों को डिपों में खड़ा कर दिया जा रहा है। आने वाले दिनों में जब सभी बसों में रखरखाव के लिए खर्चा लगेगा तो ठेका कंपनी अपना हाथ खड़ा कर संचालन बंद कर देगी। उस समय सिटी बस सफेद हाथी ही साबित होगा। राज्य परिवहन निगम की बसों के संचालन के दौरान चालकों में आपसी प्रतिस्पर्धा हुआ करती थी। जिससे यात्रियों को हर रूट के लिए साधन मुहैय्या हो जाती थी, लेकिन सिटी बस के संचालन के बाद मनमर्जी बढ़ गई है। वे अपने हिसाब से बसों का संचालन कर रहे हैं।