November 7, 2024

नगर निगम कोरबा के कुख्यात भ्रष्टाचारी अफसरों का नया कारनामा, ठेकेदार हो रहा परेशान

फिर सवालों के घेरे में आए भ्रष्टाचार के आरोपी पूर्व-मुख्यलेखाधिकारी पि.आर. मिश्रा

रिटायरमेंट के 20 दिन पहले कार्यादेश के लिए पहुँची निर्माण कार्य की फाइल हुई गायब, ठेकेदार दर-बदर भटकने को मजबूर

कोरबा 5 नवम्बर। नगर निगम कोरबा में भ्रष्टाचार कोई नई बात नहीं है पर निगम के अधिकारीयों द्वारा भ्रष्टाचार को अंजाम देने के जो नए – नए तरीके अख्तियार किये जाते हैं। उसे सुनकर हैरानी जरूर होती है। वर्तमान प्रकरण वार्ड 58 में सामुदायिक भवन व मदरसे के पास सीमेंट कांक्रीट सड़क बनाने की निविदा का है जहाँ ठेकेदार द्वारा समय पर सारी औपचारिकता पूर्ण करने के बाद भी निर्माण कार्य का कार्यादेश नहीं दिया जा रहा है तथा इसका कारण पूछने पर फाइल गुम हो गई है कह दिया गया है।

निविदा पाने वाले ठेकेदार का कहना है की उनके द्वारा पाँच माह पूर्व ही निर्माण कार्य आरम्भ करने हेतु अनुबंध सम्बन्धी औपचारिकताएं पूर्ण कर लेने तथा नियमानुसार अंतर की राशि के रूप में एक लाख रुपये जमा करने के पश्चात भी आज दिनॉंक तक कार्यादेश नहीं हो पाया है। ठेकेदार द्वारा इस सम्बन्ध में निगम के बाबुओं से जानकारी लेने पर पता चला की निर्माण कार्य की फाइल दिनॉंक 10 जून 2020 को निगम के तत्कालीन मुख्य – लेखाधिकारी पि.आर. मिश्रा को भेजी गयी थी। ठेकेदार द्वारा जब मुख्य-लेखाधिकारी के चेम्बर में पदस्थ बाबू से इस सम्बन्ध में पूछा गया तो उसके द्वारा गोल मोल जवाब देते हुए कह दिया गया की फाइल उसके पास नहीं है और न ही उसके द्वारा फाइल को आगे किसी अधिकारी के पास भेजा गया है।

वहीं न्यूज एक्शन को नाम गुप्त रखने की शर्त पर निगम में ही कार्यरत कर्मचारी द्वारा यह बताया गया है की नगर निगम कोरबा में निर्माण कार्यों के कार्यादेश जारी करने के नाम पर रिश्वतखोरी की जाती है। कार्यादेश जारी करने के लिए ठेकेदारों से निर्माण कार्य के अनुबंध राशि का 3 प्रतिशत कमीशन वसूला जाता है व इस वसूली की जिम्मेदारी संबंधित जोन के कार्यपालन अभियंता की होती है। वर्तमान में निगम आयुक्त एस. जयवर्धन द्वारा इन भ्रष्टाचारों पर लगाम लगाया जा रहा है जिससे परेशान हो निगम के अधिकारी नये – नये हथकंडे अपना रहें हैं। जो ठेकेदार कार्यादेश के लिए कमीशन नहीं देता है उसकी फाइलों को दबा दिया जाता है व उससे यह कह दिया जाता है की फाइल गुम हो गयी है या मिल नहीं रही है।

आपको बता दें की निगम के पूर्व मुख्य-लेखाधिकारी पि.आर. मिश्रा पर वर्तमान में भ्रष्टाचार के आरोप में जांच लंबित है. मिश्रा इसी वर्ष 31 जून 2020 को सेवानिवृत्त हुए हैं तथा भ्रष्टचार के आरोप में जांच लंबित होने के कारण संविदा नियुक्ति होने के पश्चात भी उन्हें निगम आयुक्त द्वारा जाइनिंग नहीं दि जा रही है। यहाँ यह भी बताना आवश्यक है की नगर निगम की हर शाखा व टेबल पर फाइलों की आवक जावक का ब्यौरा रखने के लिए रजिस्टर मेन्टेन किया जाता है। ऐसे में सेवानिवृत्ति के पहले 10 जून को पूर्व मुख्यलेखाधिकारी पि.आर. मिश्रा की टेबल पर फाइल का पहुँचना और फिर अन्य किसी अधिकारी के पास न जाते हुए फाइल का गुम हो जाना पुरे प्रकरण को संदेहास्पद बनाता है व निगम में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर करता है। निगम में उक्त निर्माण कार्य की फाइल 10 जून को मुख्य-लेखाधिकारी के पास भेजे जाने के रिकार्ड तो है पर फाइल को अग्रिम कार्यवाही हेतु अन्य किसी अधिकारी के पास भेजे जाने का कोई रिकार्ड या रजिस्टर में एंट्री नहीं है। अब सवाल यह उठता है की फाइल यदि आगे नहीं बढाई गई तो फाइल फिर कहाँ चली गई? पूर्व में भी कार्यादेश की फाइलों को अकारण रोके रखने के कारण पि.आर. मिश्रा की निगम आयुक्त से शिकायत की गयी थी। शिकायत के कुछ ही दिनों बाद महीनों से रुकी हुई फाइल का कार्यादेश 3 दिन में ही जारी कर दिया गया था।

बहरहाल वर्तमान प्रकरण में ठेकेदार ने उक्त मामले की शिकायत नगर निगम आयुक्त से एक माह पूर्व अक्टूबर में की तो थी, परन्तु उस पर आज दिनॉंक तक कोई कार्यवाही नही की गई है। वहीं दूसरी ओर ठेकेदार पर स्थानीय पार्षद द्वारा कार्य आरम्भ करने दबाव बनाया जा रहा है जिससे ठेकेदार असमंजस में है की वह करे तो क्या करे । अब देखना यह होगा की निगम आयुक्त एस. जयवर्धन इस प्रकरण पर कब और क्या कार्यवाही करते हैं।

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