सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पाली में वनांचल क्षेत्र की महिलाओं का हो रहा सफलतापूर्वक इलाज
गर्भावस्था के गंभीर मामलों के इलाज के लिए रायपुर, बिलासपुर या कोरबा जाने की मजबूरी हुई ख़त्म
कोरबा 17 दिसंबर 2020. विकासखंड पाली के वनांचल और दूरस्थ क्षेत्रों में बसे महिलाओं को गर्भावस्था से संबंधित और अन्य इलाज के लिए बड़े शहरों में नहीं जाना पड़ रहा है। जिला प्रशासन द्वारा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पाली में महिलाओं से संबंधित सभी बीमारियों के इलाज की सुविधा मुहैया करवाई जा रही है। पाली स्थित स्वास्थ्य केंद्र में गंभीर गर्भावस्था वाले मामलों का सफलतापूर्वक इलाज भी किया जा रहा है। वनांचल में रहने वाले लोगों को बड़े शहरों में जाकर महंगे इलाज करवाने से मुक्ति मिल गई है। 30 बिस्तरों वाले 8 वार्डयुक्त पाली के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पांच विशेषज्ञ डॉक्टर मरीजों के ईलाज के लिए अपनी सेवाएं दे रहे हैं। जिला प्रशासन द्वारा इस अस्पताल में गर्भावस्था वाले गंभीर मामलों के त्वरित इलाज के लिए स्त्री रोग विशेषज्ञ की भी नियुक्ति की गई है। अस्पताल में स्थापित पैथोलॉजी लैब के द्वारा खून, पेशाब आदि की जांच भी की जा रही है। अस्पताल में सुसज्जित ऑपरेशन थिएटर के साथ एक्स रे मशीन भी लगाई गई है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पाली में ऑपरेशन से प्रसव करवाने की भी सुविधा है। अभी तक 53 महिलाओं का सफलतापूर्वक ऑपरेशन के द्वारा प्रसव करवाया जा चुका है।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पाली में पदस्थ डॉ हेमंत कुमार पैकरा ने बताया कि वनांचल क्षेत्र में बसा हुआ स्वास्थ्य केंद्र पाली जिसकी दूरी जिला मुख्यालय से सात किलोमीटर तथा बिलासपुर से 50 किलोमीटर है। डॉ पैकरा ने बताया कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत आने वाले अनेक गांव दुर्गम और दूरस्थ है इसके बावजूद सभी गर्भवती माताओं का पंजीयन कराया गया है। आसपास के लोगों को समय-समय पर स्वास्थ्य परीक्षण तथा सुरक्षित संस्थागत प्रसव के लिए प्रेरित किया जा रहा है। डॉ पैकरा ने बताया कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पाली में संस्थागत प्रसव तथा अन्य सुविधाएं लगातार बढ़़ रही है। डॉक्टर पैकरा ने बताया कि पाली स्थित स्वास्थ्य केंद्र में मातृत्व एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं में लगातार बढ़ोतरी हो रही है तथा प्रसव पूर्व देखभाल की भी सुविधा उपलब्ध कराया जा रहा है। महिलाओं को उनकी बीमारी से संबंधित समस्याओं से संबंधित उचित सलाह एवं उपचार प्रदान किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जितने भी हाई रिस्क प्रेगनेंसी वाले केस रहते हैं उसका समय पर ट्रेसिंग, ट्रैकिंग और मैनेजमेंट किया जाता है तथा हाई रिस्क वाले केस को एक सप्ताह पूर्व ही भर्ती कर उपचार प्रारंभ कर दिया जाता है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में परिवार नियोजन संबंधी सलाह एवं उपचार भी किया गया है जिसके कारण परिवार नियोजन संबंधी केस में बढ़ोतरी हो रही है।
डाॅ. पैकरा ने बताया कि ग्राम ईरफ निवासी श्रीमती सुंदरी को गर्भावस्था के दौरान प्रसव के लिए कटघोरा से रिफर किया गया था। इस समय वह एनीमिक थी। सुंदरी की शरीर में लगभग सात ग्राम खून था एवं बीपी भी उतार-चढ़ाव हो रहा था। सुंदरी की सोनोग्राफी रिपोर्ट में देखने पर इक्टोपिक प्रेगनेंसी था। इनको उसी समय दो यूनिट ब्लड दिया गया परंतु इंटरनल रक्त प्रवाह होने के कारण ब्लड मैनेजमेंट नहीं हो पाया और रात्रि 11 बजे सुंदरी का ऑपरेशन करना पड़ा। सुंदरी को दो यूनिट रक्त दिया गया और सफलतापूर्वक ऑपरेशन कर लिया गया। इसी प्रकार ग्राम रेंकी की श्रीमती कौशल्या पटेल को गर्भाशय में गांठ की समस्या थी इनका पूर्व में बिलासपुर के प्राइवेट क्लीनिक में इलाज चल रहा था। लेकिन फिर भी ठीक नहीं हो पा रही थी श्रीमती कौशल्या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अपना उपचार कराने के लिए आई उस समय सीवियर एनीमिक थी। कौशल्या के शरीर में छह ग्राम खून था। कोैशिल्या को दो यूनिट खून दिया गया जिसके कारण खून की मात्रा बढ़कर आठ ग्राम हो गया। डाॅ. पैकरा ने बताया कि कौशिल्या की गर्भाशय की गांठ का आपरेशन विशेषज्ञ डाक्टरों की उपस्थिति में सफलतापूर्वक किया गया।