कोरबा जिला में किसका बजेगा डंका, जनता चुनेगी अपना विधायक
न्यूज एक्शन। विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के मतदान की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। रविवार की शाम से चुनावी प्रचार का शोर थम चुका है। प्रत्याशियों ने तामझाम के साथ अपना प्रचार जोर शोर से किया है। प्रचार युद्ध के थमने के साथ प्रत्याशियों की ताकत और उनका जनसमर्थन भी स्पष्ट होने लगा है। इसके आधार पर सीटवार पार्टियों की मजबूती व कमजोरी का आंकलन होने लगा है।
इस आंकलन ने यह तो साफ कर दिया है कि कोरबा जिला की चारों सीटों पर परिवर्तन की लहर है। चारों सीटों पर उलटफेर होने की प्रबल संभावना है।
कोरबा विधानसभा सीट:
कोरबा विधानसभा सीट की बात की जाए तो इस सीट पर सबसे अधिक 20 प्रत्याशी चुनावी रण में ताल ठोंक रहे है। लेकिन भाजपा कांग्रेस के अलावा इस सीट पर जकांछ की स्थिति मजबूत नजर आ रही है। प्रत्याशियों को मिल रहे जनसमर्थन को पैमाना माना जाए तो जकांछ प्रत्याशी रामसिंह अग्रवाल ने भाजपा और कांगे्रस दोनों को ही चुनौती दी है। मौजूदा सांसद के पुत्र विकास महतो भाजपा से चुनाव लड़ रहे है , उन्होंने भी प्रचार प्रसार में भारी दमखम दिखाया है। युवा जोश के साथ गजब की चुनावी रणनीति के तहत मतदाताओं को रिझाने का प्रयास किया गया है। वहीं कोरबा विधानसभा सीट को कांग्रेस का गढ़ माना जाता रहा है। लेकिन इस बार सीट पर पंजा की पकड़ अपेक्षाकृत कमजोर नजर आ रही है। जिस तरह से दो कार्यकाल सत्ता संभालने के बाद भी क्षेत्र में विकास कार्य बाधित रहे है एवं नगर निगम में विधायक की धर्मपत्नी का महापौर होना भी कांग्रेस के लिए घातक सिद्ध हो सकता है। वैसे भी पिछले विधानसभा चुनाव में महापौर रहते हुए जोगेश लांबा ने विधानसभा चुनाव लड़ा था जिसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा था। इस बार कोरबा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला तो है, इस मुकाबले में कौन किससे आगे निकलता है यह तो मतदाता ही तय करेंगे । राजनीतिक जानकारों की मानें तो इस सीट पर हार-जीत का आंकड़ा तीन से चार अंकों की संख्या के बीच रह सकता है।
पाली-तानाखार विधानसभा सीट:
पाली तानाखार सीट पर भी उलटफेर की संभावना बन गई है। कांग्रेस को अलविदा कहने के बाद भाजपाई हुए विधायक एवं भाजपा प्रत्याशी रामदयाल उइके के खिलाफ लोगों का गुस्सा नजर आने लगा है। स्थानीय भाजपा कार्यकर्ता भी दलबदलू को प्रत्याशी बनाए जाने के कारण घर बैठ गए है। जिससे निष्ठावान भाजपा कार्यकर्ताओं का समर्थन नहीं मिलने से उइके की परेशानी बढ़ गई है। अब तक क्षेत्र के विधायक रहने के बाद भी मूलभूत सुविधाओं की कमी उनके वोटों के ग्राफ में गिरावट ला सकती है। इस सीट पर गोंगपा के उम्मीदवार हीरासिंह मरकाम ने दोनों राजनीतिक दलों को भारी टक्कर दी है। सपा से गठबंधन के बाद उनकी स्थिति काफी मजबूत मानी जा रही है। वहीं कांग्रेस भी इस सीट पर भाजपा को मात देती और गोंगपा से सीधा मुकाबला करती नजर आ रही है। इस सीट पर भी कांग्रेस गोंगपा के मुकाबले की संभावना है। हालांकि जकांछ बसपा गठबंधन का प्रत्याशी भी इस सीट पर छुपा रूस्तम की तर्ज पर उलटफेर करने का माद्दा रखता है।
रामपुर विधानसभा सीट:
रामपुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस पिछड़ती नजर आ रही है। इस बार कांग्रेस ने मौजूदा विधायक श्यामलाल कंवर को पुन: प्रत्याशी चुना है। क्षेत्र में विकास कार्य के नाम पर केवल आम जनता के साथ छलावा हुआ है। जिसका खामियाजा श्यामलाल कंवर को वोटों के नुकसान के रूप में उठाना पड़ सकता है। इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी एवं गत विधानसभा चुनाव के पराजित उम्मीदवार ननकीराम कंवर ने इस बार पूरी ताकत के साथ जनसंपर्क अभियान छेड़ा है। चुनाव हारने के बाद से वे जनता के बीच सक्रिय रहे। जनहित के मुद्दों को वे शासन प्रशासन के सामने बेहिचक उठाते रहे। जिसका सकारात्मक परिणाम उनके पक्ष में दिखाई पड़ रहा है। वहीं राठिया समाज को टिकट देने का जोगी पैंतरा भी कारगर नजर आ रहा है। रामपुर विधानसभा सीट पर फूल सिंह राठिया ने मजबूत दावेदारी पेशकर भाजपा कांग्रेस की चिंता बढ़ाई है। राजनीति के जानकार रामपुर में इस बार कांग्रेस भाजपा के बजाए जकांछ भाजपा के बीच सीधे मुकाबले की उम्मीद जता रहे है।
कटघोरा विधानसभा सीट:
कटघोरा विधानसभा सीट भाजपा के लिए काफी अहम मानी जा रही है। इस इकलौते सीट पर केवल कमल खिला था। इस बार भी कटघोरा में कमल खिलाने का जिम्मा लखनलाल देवांगन को पार्टी आला कमान ने सौंपा है। मगर प्रचार और जनसंपर्क में जो भाजपा विरोधी लहर चली है उसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ सकता है। रही सही कसर पार्टी में हो रहा भीतरघात पूरी कर दे रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव के बाद जिस तरह से लखन लाल देवंागन की लोकप्रियता में गिरावट आई है उसका कारण उनकी कार्यशैली, व्यक्ति विशेष को तवज्जों , भूविस्थापितों का मुद्दा, व्यवसायियों के खिलाफ शिकायतबाजी सहित अन्य को माना जा रहा है। कटघोरा में जोगी कांग्रेस और कांग्रेस के बीच प्रमुख मुकाबला नजर आ रहा है। दोनों प्रत्याशी स्थानीय है। जहां पुरूषोत्तम कंवर को पिता बोधराम कंवर का मार्ग दर्शन मिल रहा है। वहीं गोंविद सिंह राजपूत कटघोरा की माटी में आम जनता के हित में आंदोलन का शंखनाद कर लोकप्रिय हुए है। ऐसे में इस सीट पर गोंविद और पुरूषोत्तम के बीच काटे की टक्कर की संभावना है।