October 5, 2024

कहीं घोषणाओं को पूरा करते-करते खाली न हो जाए खजाना

न्यूज एक्शन। कांग्रेस ने लोकलुभावन वादों के साथ भाजपा का 15 सालों से चले आ रहे विजयी क्रम को रोककर एक तरफा जीत हासिल की है। सरकार बनने पर लोकलुभावन वादों की बारिश करने का वादा करने वाली कांग्रेस अब इस दिशा में कदम उठाती भी नजर आ रही है। मगर हर सिक्के के दो पहलु होते हैं। घोषणाओं को पूरा करने और इनके फंड को लेकर भी दो पहलुओं पर अब चर्चा करने वालों की जमात बढ़ रही है। ऐसी चर्चाओं में यह बात छनकर आ रही है कि कहीं घोषणाओं को पूरा करते-करते प्रदेश का खजाना खाली न हो जाए। कांग्रेस ने अपने जनघोषणा पत्र में सामाजिक पेंशन को 350 रुपए से बढ़ाकर 1 हजार रुपए करने का वादा किया है। आर्थिक विश्लेषक बताते हैं कि सामाजिक सुरक्षा पेंशन में तीन चौथाई केंद्र की एवं एक चौथाई प्रदेश की योजनाओं से लाभान्वित होते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि 1 हजार रुपए पेंशन क्या केंद्र की योजनाओं से प्रदान किया जाएगा या फिर प्रदेश सरकार अधिभार वाहन करेगी। अगर केंद्र से फंड नहीं मिलता तो फिर इसका फंड कहां से आएगा? यह सवाल है। यही हाल 2500 रुपए बेरोजगारी भत्ता को लेकर भी दुविधा है। सरकार को चाहिए कि रोजगार के अवसर पैदा कर बेरोजगारों की तदाद साल-दर-साल कम किया जाए। मगर बेरोजगारी भत्ता पर फोकस उचित नहीं माना जा रहा है। यह भत्ता भी किस फंड से बेरोजगारों को मिलेगा, इसकी आर्हताएं क्या होगी? बेरोजगारी भत्ता के लिए पात्रता का पैमाना क्या होगा इस पर भी सोच विचार करने वाले लोग इसका आंकलन कर रहे हैं। ऋण माफी में अगर केंद्र का समर्थन कम और राज्य सरकार का हिस्सा ज्यादा रहा तो इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि अरबों की चोंट शासकीय खजाने को लगेगी। अगर यूं ही खजाना लुटता रहा तो एक वर्ष के भीतर अर्थव्यवस्था चौपट होने के कयास भी आर्थिक विश्लेषक और अर्थशास्त्री लगा रहे हैं। बिजली बिल आधा करने के मामले में भी सरकार पर बोझ बढ़ेगा। किसका बिजली बिल आधा होगा, क्या पुराने बिजली बिल की राशि भी आधे दर पर जमा कराई जाएगी? इसके मापदंड क्या होंगे इसका फंड कहां से आएगा? इस तरह के अनेकों सवाल बने हुए हैं। धान के बोनस में अगर केंद्र की सब्सिडी रूकी तो फिर राज्य सरकार के पास इसके विकल्प के तौर पर क्या उपाए होंंगे? इस पर भी चर्चा हो रही है। वादों की बौछारों के बीच कहीं राज्य सरकार का खजाना पानी की तरह न बह जाए। इसे लेकर जुबानी तर्क वितर्क में लोग अपना समय इन दिनों व्यतीत कर रहे हैं।

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