November 22, 2024
प्रस्तुति-सरिता सिंह

जो देखा हमने


रेत – कणों पर लेटे लेटे
अरब सागर का सूर्यास्त देखा हमने , मूँगफली वाले देखे ,

गुब्बारेवालियाँ देखी
नाचती बच्चों की आँखों में रंग बिरंगी मुद्राओं में दिखी उनकी कलाइयाँ ,भरी गुब्बारों से

दिखे कुछ बच्चे श्रम की थाप पर थिरकते

दिखे कुछ दूरबीन वाले
खींचते नज़ारे ,आँखों के करीब करीब तक लाते
दूरस्थ झूलती मस्तूलें जहाज की ,

दिखे मछुआरे ,मत्स्यजाल से खेलते उनके बच्चे !

दिखीं गृहस्थियाँ, रेत घड़ी सी फिसलती रेत ही में खपती ,

दिखी गृहस्थियाँ सँवारने में फिर भी
कुदरत की महीन कारीगरी !

दिखी कुदरत की करूण कारीगरी

अहा! धन्य समुद्र
अहा! धन्य समुद्र !

Spread the word