बड़ी खबर पहली बार; कैसे फंसा राकेश्वर सिंह नक्सलियों के चुंगुल में? आइये इसे जानें…
जगदलपुर 7 अप्रैल। सुकमा बीजापुर में तीन अप्रेल को सुरक्षा बलों के जवानों और नक्सलियों की मुठभेड़ में जहां 23 जवान शहीद हो गए और करीब 31 घायल हुए वही कई नक्सली में मारे गए.इस मुठभेड़ में कोबरा बटालियन के एक जवान को नक्सलियों ने अगवा कर लिया. जो नक्सलियों के कब्जे में सुरक्षित हैं.
नक्सलियों के चुंगल मे फंसे जवान सीआरपीएफ कोबरा बटालियन के राकेश्वर सिंह मनहास उम्र 35 वर्ष मूलरूप से जम्मू कश्मीर के रहने वाले है. जवान मनहास के नक्सलियों के चुंगुल में फंसने की कहानी भी चौका देने वाली हैं.जानकारी के अनुसार मनहास को गोली लगी हैं और उसकी चिकित्सा नक्सली ही करा रहे हैं. जो खबर सामने आ रही हैं उसके अनुसार के नक्सलियों और सुरक्षाबल की मुठभेड़ के दौरान राकेश्वर के पास गोली खत्म हो गई और वह पहाड़ी के पास छिप गए थे, फायरिंग रुकने के बाद उन्होंने गांव की तरफ रुख किया, लेकिन यहाँ वो धोखे का शिकार हो गए, दरअसल मुठभेड़ से पहले नक्सलियों ने गांव वालों को डरा-धमकाकर भगा दिया था, और खुद गांव पर कब्जा किया था, जवान के गांव में पहुँचते ही नक्सलियों ने पकड़ लिया. इससे एक बात साफ होती हैं कि घात लगाए नक्सलियों ने सुरक्षा बलों से निपटने की पूरी तैयारी पहले से कर रखी थी. यदि ऐसा नही था तो वे गांव पर कब्जा कर वहां पहले से छिपे नहीं रहते. सुरक्षा बलों के जवानों को इस बात का अंदाजा ही नहीं था कि पूरे गांव के घरों में नक्सली छिपे हुए हैं.वह इस बात को समझ ही नहीं पाए कि गांव की तरफ से उन पर हमला आखिर कौन कर रहा हैं, सुरक्षा बल के जवान इस दुविधा में पड़ गए कि यदि उनकी ओर से फायरिंग की जाती हैं तो उसका शिकार ग्रामीण न हो जाये. इसका फायदा नक्सलियों ने उठाया. बताया जाता हैं यह पूरी रणनीति 40 लाख रुपयेे का ईनामी नक्सली व मास्टर माइंड हिडमा की थी. जिसने पूर्व में भी बडी घटना को अपने नेतृत्व में अंजाम दिया हैं. शातिर हिडमा की पूरी सुरक्षा उसकी टीम के साथी करते हैं. वह चार चक्रीय सुरक्षा के घेरे में रहता हैं और उस तक पहुंच पाना आसान नहीं हैं.तरेम में नक्सली हमले के बाद शहीद जवान भोसाराम के चाचा का भी एक बड़ा बयान सामने आया है कि तरेम हमले से पहले नक्सली हिडमा पुलिस को फोन कर रहा था। हिडमा ने अपने इलाके में आने के लिए पुलिस को चुनौती दी थी. बताया जाता है कि शहीद जवान भोसा राम ने अपने चाचा को इसकी जानकारी दी थीं. शहीद होने वाले जवानों में 8 डीआरजी बीजापुर के जवान, 6 एस टी एफ छत्तीसगढ़ के जवान, 7 कोबरा के जवान और 1 बस्तरिया बटालियन का जवान हैं.एक जवान लापता हैं.