संक्रमित पिता की मौत के बाद आठ कोरोना मरीज की जान को जोखिम में डालने वाले युवक के खिलाफ जुर्म दर्ज
गुना 1 मई : कोरोना काल मे अस्पताल में भर्ती जिनका अपना कोई इस दुनिया से चला जाता हैं तो उसकी अन्तरात्मा से बस यही आवाज निकलती हैं कि अस्पताल की लापरवाही से उनके अपने की जान चली गई. लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वह कुछ ऐसी वैसी हरकत करे जिससे बाकी मरीजो की जान जोखिम में पड़ जाए. ऐसा ही एक मामला मध्यप्रदेश के गुना शहर से सामने आया हैं।
बताया जाता हैं कि कोरोना संक्रमित पिता की मौत के बाद बेटे की एक हरकत की 8 गंभीर मरीजों की जान जाते जाते बची. उसने वार्ड में रखा ऑक्सीजन कंसंट्रेटर तोड़ दिया। सेंट्रल ऑक्सीजन सप्लाई सिस्टम की पाइप लाइन तोड़ने की कोशिश की।वार्ड बॉय और मरीजों के परिजन उसे पकड़ा नहीं तो बड़ा हादसा हो सकता था। घटना के समय 22 मरीज थे, जिसमें से 8 गंभीर मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर थे। न्यू सिटी कॉलोनी निवासी 63 वर्षीय आरडी श्रीवास्तव अस्पताल के कोविड वार्ड में भर्ती थे। शुक्रवार रात उनकी कोरोना से मौत हो गयी। यह बात जब वार्ड के बाहर बैठे उनके बेटे पवन श्रीवास्तव को पता चली तो शनिवार सुबह 5 बजे वार्ड में घुस गया। उसने अपने पिता के इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए तोड़फोड़ शुरू कर दी। बताया जाता हैं कि उसनेअपने पिता के पलंग के पास रखा ऑक्सीजन कंसंट्रेटर को जमीन पर पटक कर तोड़ दिया। बेड पर बिछे गद्दे को उठाकर गैलरी में फेंक दिया। ड्यूटी डॉक्टर और नर्स से अभद्रता की। वह वार्ड में सेंट्रल ऑक्सीजन सप्लाई सिस्टम को भी बाधित करने की कोशिश की। वह पाइप लाइन तोड़ने लगा, जिससे बाकी मरीजों के होश उड़ गए। डॉक्टर व नर्सों ने बमुश्किल उसे रोका। रोकने पर उसने ड्यूटी डॉक्टर व नर्सों के साथ गाली गलौज और धक्का मुक्की की। वह लगातार यह आरोप लगाता रहा कि डॉक्टरों ने सही इलाज नहीं किया, जिससे उसके पिता की मौत हो गई।
घटना के समय 8 गंभीर मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर थे, जिन्हें सेंट्रल सप्लाई सिस्टम से ऑक्सीजन दी जा रही थी। अगर युवक ऑक्सीजन सप्लाई को जरा सा भी नुकसान पहुंचा देता तो कई मरीजों की जान संकट में आ सकती थी। कोई भी बड़ा हादसा हो सकता था। अस्पताल प्रबंधन की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने पवन श्रीवास्तव (26) के खिलाफ धारा 188, IPC की धारा 323, 294 व 506 के तहत प्रकरण दर्ज कर लिया है। मामले की जांच पुलिस कर रही है।