November 22, 2024

कोरोना संक्रमित दिव्यांग महिला पति और पुत्र के शव के साथ 4 दिन गंभीर हालत में घर पर रही

■ कोरोना संक्रमित पिता पुत्र होम आइसोलेशन पर थे.

लखनऊ 2 मई: होम आइसोलेशन में कोरोना संक्रमित पिता पुत्र की मृत्यु हो गई जबकि दिव्यांग मां अपने पति और पुत्र के शव के साथ चार दिनों तक गंभीर अवस्था मे रही।

यह मामला उस वक्त प्रकाश में आया जब गोयल परिवार के धर से बेहद दुर्गंध आ रही थी औऱ घर का दरवाजा अंदर से बंद था, तो पड़ोसियों ने इस बात की सूचना पुलिस को दी.पुलिस वहां पहुँची और पहले दरवाजा खटखटाया तो ना तो अंदर से किसी ने जवाब दिया औऱ ना ही दरवाजा खुला. पुलिस दरवाजा तोड़ कर ज्यो ही अंदर घुसी तो दुर्गंध के मारे उनका भी हाल बेहाल हो गया.धर के अंदर का दृश्य देख पुलिस भी सहम गई. अलग अलग कमरे में पिता पुत्र की लाश पड़ी थी और दिव्यांग महिला गंभीर अवस्था मे वहां बीमार मिली.यह मामला लखनऊ के कृष्ण नगर का हैं.

मिली जानकारी के अनुसार शन‍िवार को लखनऊ के कृष्णा नगर एलडीए कालोनी में होम आइसोलेशन में रह रहे बाप-बेटे के चार द‍िन पुराने शव पड़ मि‍ले। अरविंद गोयल (60) और उनके बेटे आशीष गोयल (25) दोनों कोरोना संक्रम‍ित थे। अरव‍िंद की दिव्यांग पत्‍नी रंजना गंभीर हालत में पुलिस को म‍िली हैं। वह चार द‍िनों से पति और बेटे के शव के साथ ही रह रहीं थीं। इस दौरान उन्‍होंने मदद के लिए कई बार आवाज लगाई, लेकिन उनकी आवाज घर के बाहर तक पहुंची ही नहीं।
इंस्पेक्टर महेश दुबे ने बताया कि एलडीए कालोनी में अरविंद गोयल का परिवार रहता था। स्‍थानीय लोगों ने घर से दुर्गंध आने की सूचना पुलिस को दी। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर दरवाजा तोड़ा तो देखा क‍ि अरविंद और आशीष के शव अलग-अलग कमरों में पड़े थे, जबकि अरविंद की पत्नी रंजना भी घर में थीं। रंजना चल नहीं सकती थीं। ऐसे हालात में वह घर में ही मौजूद थीं। उनके सामने पति का शव पड़ा था। खुद रंजना भी कोरोना संक्रमित थीं। उनकी तबीयत भी काफी खराब थी। पति और बेटे की मौत का पता चलने के बाद रंजना ने मदद के लिए कई बार आवाज दी, लेकिन क‍िसी तक उनकी आवाज नहीं पहुंची। पुलिस ने उन्‍हें अस्पताल में भर्ती कराया है।

स्‍थानीय लोगों ने पुलिस को बताया कि अरव‍िंद और आशीष ही घर से बाहर दि‍खते थे, लेकिन कोरोना संक्रमि‍त होने के बाद से वह होम आइसोलेशन में थे। चार दिन से वह किसी को नजर नहीं आए थे। पड़ोसियों ने बताया कि अरविंद की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। आशियाना में रहने वाली अरविंद की मां हर महीने कुछ रुपए दे जाती थी, लेकिन काफी समय से वह भी नहीं आई थीं।

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