DMF: दिल्ली और रायपुर सरकार में फिर तकरार की संभावना
रायपुर 3 जून। जिला खनिज न्याय निधि (डीएमएफ) कमेटी को लेकर केंद्र और छत्तीसगढ़ सरकार के बीच टकराव के आसार बढ़ते दिख रहे हैं। केंद्र सरकार ने प्रभारी मंत्रियों के स्थान पर पहले की तरह कलेक्टरों को कमेटी का अध्यक्ष बनाने का निर्देश दिया है। वहीं, राज्य सरकार के प्रवक्ता और प्रदेश के वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने केंद्रीय अधिनियम का हवाला देते हुए दो टूक कहा है कि विधायकों को कमेटी से नहीं हटाया जाएगा। वे सदस्य बने रहेंगे।
नियम बनाने का अधिकार राज्य सरकार को
वन मंत्री अकबर ने बताया कि केंद्रीय अधिनियम में डीएमएफ का गठन करने के लिए नियम बनाने का पूरा अधिकार राज्य सरकारों को दिया गया है। उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार के खनिज विभाग ने दिनांक 23 अप्रैल 2021 को राज्य सरकारों को एक आदेश जारी किया है, जिसमें डीएमएफ के गठन आदि के नियमों को संशोधित करके यह प्रविधान किया गया है। इस आदेश के अनुसार डीएमएफ के अध्यक्ष अब कलेक्टर ही होंगे, और सांसद सदस्य होंगे।
समझ से परे है केन्द्र सरकार का आदेश
अकबर ने कहा कि केंद्र सरकार का यह आदेश समझ से परे है, क्योंकि डीएमएफ का गठन करने के लिए नियम बनाने का पूरा अधिकार राज्य सरकारों को दिया गया है, जिसके अंतर्गत छत्तीसगढ़ शासन ने नियम बनाकर डीएमएफ का अध्यक्ष जिले के प्रभारी मंत्री को नियुक्त करने का प्रविधान किया था। मंत्री अकबर ने अधिनियम की धाराओं का उल्लेख करते हुए बताया कि केंद्र सरकार को केवल निधि (फंड) की संरचना और उसके उपयोग के संबंध राज्य सरकारों को निर्देश जारी करने का अधिकार है न कि डीएमएफ के गठन के बारे में निर्देश जारी करने का।
क्या है केन्द्र सरकार के नए आदेश में?
आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने DMF को लेकर नई गाइड लाइन जारी की है। इसके मुताबिक छत्तीसगढ़ के खनिज बहुल जिलों में गठित जिला खनिज न्यास संस्थान यानी डी एम एफ की समिति से प्रदेश सरकार के सभी प्रभारी मंत्री बाहर हो जाएंगे। केंद्र सरकार ने आदेश दिया है कि डी एम एफ की समिति में अब जिला कलेक्टर ही अध्यक्ष होंगे। क्षेत्र से सांसद समिति के सदस्य होंगे। निर्देश पर अमल किये जाने पर केंद्र के इस कदम के बाद छत्तीसगढ़ में डीएमएफ के मामले में प्रभारी मंत्री और विधायक बाहर हो जाएंगे। केंद्र सरकार के खनिज मंत्रालय ने ये आदेश जारी किया है कि डीएमएफ कमेटी में अब चेयरमैन यानी अध्यक्ष के पद पर जिला कलेक्टर, डिप्टी कमिश्नर, जिला दंडाधिकारी ही होंगे। इनके अलावा कोई भी व्यक्ति इस कमेटी का अध्यक्ष नहीं हो सकता। इसी आदेश में ये भी कहा गया है कि लोकसभा सदस्य संंबंधित जिले की कमेटी में सदस्य के रूप में शामिल होंगे।
प्रदेश सरकार ने बदली थी व्यवस्था
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार बनने के बाद डीएमएफ के मामले में नियम में बदलाव किया गया था। राज्य सरकार की बनाई व्यवस्था के मुताबिक राज्य में जिलों की खनिज न्यास संस्थान यानी कमेटी में जिले के प्रभारी मंत्री अध्यक्ष रहेंगे, जबकि कलेक्टर के पास सचिव की जिम्मेदारी होगी। कांग्रेस सरकार ने राज्य की कमेटियों में विधायकों को सदस्य के रूप में शामिल किया था। दरअसल कांग्रेस विपक्ष में रहते हुए भी ये सवाल उठाती रही है कि चुने हुए प्रतिनिधियों को अधिकार से वंचित कर कलेक्टरों को अधिकार दिए गए हैं। उस समय ये व्यवस्था पिछली राज्य सरकार ने बनाई थी।
भाजपा सरकार के समय बनी थीं समितियां
राज्य में पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में डीएमएफ समितियों का गठन करते हुए कलेक्टर को अध्यक्ष बनाया गया था। इस समय सांसद और विधायकों को सदस्य के रूप में शामिल किया जा रहा था, लेकिन कांग्रेस सरकार बनने के बाद इस नियम में बदलाव कर प्रभारी मंत्री को अध्यक्ष तथा कलेक्टर को सचिव बनाया गया था। अब केंद्र के आदेश के बाद ये व्यवस्था फिर से बदली जानी है। राज्य सरकार बनाएगी नए नियम उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार इस मामले में केंद्र का आदेश आने के बाद अब राज्य सरकार इस पूरे मामले को लेकर नया नियम बनाएगी। इस संबंध में विचार विमर्श किया जा रहा है। ऐसी संभावना है कि राज्य सरकार कमेटी में विधायकों को शामिल करने का नियम ला सकती है।
उल्लेखनीय है कि डीएमएफ फंड से राज्य के खनन प्रभावित जिलों को खनन के अनुपात में राशि मिलती है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में राज्य को यह राशि 6 हजार 470 करोड़ रुपए मिलेगी। इस राशि से राज्य सरकार प्रभावित क्षेत्र में इलाज, शिक्षा और अन्य आवश्यक कार्यों पर राशि खर्च करती है।
कोरबा में अब तक नहीं आई है केन्द्र की नई गाइड लाइन
छत्तीसगढ़ में कोरबा जिला को सबसे अधिक लाभ DMF का मिलता है। इस सिलसिले में कलेक्टर श्रीमती किरण कौशल से सम्पर्क कर केंद्र सरकार की नई गाइड लाइन के संबन्ध में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि फिलहाल जिले को गाइड लाइन प्राप्त नहीं हुई है।