जिले के सभी रेतघाट आज से 15 अक्टूबर तक हो जाएंगे बंद
कोरबा 11 जून। केंद्रीय पर्यावरण के नियमानुसार 11 जून से 15 अक्टूबर के लिए जिले के सभी रेत घाट बंद हो जाएंगे। लाकडाउन के कारण वैसे भी निर्माण कार्य देरी से शुरू हुए हैं। ऐसे में जारी कार्यों के लिए अवैध उत्खनन को बढ़ावा मिलेगा। आम तौर पर प्रति वर्ष 15 जून से घाटों को बंद किया जाता था, लेकिन मानसून की निकटवर्ती संभावना को देखते हुए घाट संचालन को पांच दिन पहले ही बंद किया जा रहा है।
निर्माण कार्य से जुड़े ठेकेदारों को अब रेत की किल्लत से जूझना पड़ेगा। रेत घाटों के संचालन को पहले से निजी ठेकेदारों के हाथों में दे दी गई है। माना जा रहा था कि ठेका पद्धति से घाटों का संचालन होने अवैध उत्खनन और परिवहन में विराम लगेगा, लेकिन ठेका में घाट दिए जाने से अव्यवस्था और भी अधिक बढ़ गई है। ठेकादारों की मनमानी के कारण पहले से घाटों की दुर्दशा हो चुकी है। सरकारी नियमानुसार रेत ठेकेदार को निश्चित क्यूबिक मीटर तक ही रेत खुदाई की अनुमति होती है। इसके खनिज विभाग की ओर से उत्खनन के लिए दायरा निश्चित कर दिया जाता है। ठेकेदार अपने दायरे के रेत को बचाने के लिए निकटवर्ती क्षेत्र के रेत के लिए रसीद जारी कर देता है। खनिज विभाग के सामने ऐसे कई मामले आए हैं। जिले में 9 रेतघाटों को संचालन हो रहा है। वित्तीय वर्ष समापन के पहले कई स्वीकृत रेतघाटों के उत्खन क्षमता समाप्त हो गई थी। इसमें गेरवा और मोतीसागर रेतघाट भी शामिल थे। लंबे समय तक भैसामुड़ा रेतघाट का संचालन जारी था। सीमिति मात्रा में रेतघाट जारी रहने के कारण पहले भी अवैध घाटों से चोरी हो रही थी। अब जबकि सभी घाटों से परिवहन बंद हो जाएगा। ऐसे में रेत चोरी की घटनाएं और बढ़ जाएगी।
जून माह में बारिश के कारण घाट बंद होने की संभावना को देखते हुए अवैध भंडारण के लिए सक्रियता बढ़ जाती है। निर्माणी ठेकेदारों के लिए खनिज विभाग की ओर से भंडारण लायसेंस जारी किया जाता है लेकिन जिले में सीमित ठेकेदारों ने ही लायसेंस लिया है। अवैध परिवहन से निर्माण कार्य हो जाता है ऐसे में ठेकेदारों लायसेंस लेना घाटे का सौदा मानते हैं। जिला खनिज अधिकारी की माने तो जिले मे अभी तक आठ लोगों ने रेत भंडारण के लिए लायसेंस लिया है। उल्लेखनीय है कि लायसेंस लेने वाले निर्धारित क्षमता से अधिक तादात में भंडारण करते है, जिससे आवश्यकता पड़ने पर मनमानी कीमत पर रेती की बिक्री कर सकें।