सोनिया, राहुल और प्रियंका भी सिद्धू की हिमायत से पीछे हटे
चंडीगढ़ 23 जून। कांग्रेस अध्यक्ष की कोशिशों के बावजूद पंजाब कांग्रेस का घमासान शांत नहीं हुआ है। पेंच कैप्टन अमरिदंर सिंह और विधायक नवजोत सिंह सिद्धू के बीच फंसा है। कांग्रेस नेतृत्व ने पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए कैप्टन अमरिंदर सिंह को आगे करने का फैसला किया है। सिद्धू के साथ नाराजगी के कारण सोनिया, राहुल और प्रियंका गांधी वॉड्रा भी फिलहाल सिद्धू की मदद करने से पीछे हट गए हैं। सिद्धू 21 जून को प्रदेश कांग्रेस में सुलह कराने के लिए गठित तीन सदस्यीय कमेटी के समक्ष भी पेश नहीं हुए। इसके बजाय 20 जून को वह अपने पटियाला निवास पर पूरा दिन मीडिया को इंटरव्यू देते रहे। करीब दो साल बाद इंटरव्यू में खुलकर कैप्टन पर निशाना साधने वाले सिद्धू ने इंटरव्यू के लिए ऐसा समय चुना जिसके अगले दिन ही उन्हें दिल्ली दरबार की पेशी में हाजिर होना था। सिद्धू के इस रवैये से नाराज कांग्रेस आलाकमान ने भी सिद्धू को पंजाब कांग्रेस से अलग थलग करने का मन बना लिया है।
गत 21 जून को तीन सदस्यों की कमेटी के सामने पहुंचे कैप्टन ने पंजाब विधाानसभा चुनाव की तैयारियों पर लंबी चर्चा की, लेकिन सिद्धू के मीडिया इंटरव्यू पर कैप्टन ने कड़ी नाराजगी जताई। कैप्टन ने नाराजगी जताते हुए कहा कि सिद्धू की ऐसी बयानबाजी से कांग्रेस को पंजाब में नुकसान हो रहा है।
राज्य के प्रभारी और सुलह कमेटी के सदस्य हरीश रावत ने भी सिद्धू की बयानबाजी को गलत ठहराते हुए कहा कि सिद्धू में काबिलियत है पर कांग्रेस में धेर्य रखने का फल मिलता है। रावत ने उम्मीद जताई कि जल्द ही सब ठीक हो जाएगा।
रावत के बयान से साफ है पार्टी नेतृत्व सिद्धू की सार्वजनिक बयानबाजी पर अब और छूट नहीं देने के मूड में नहीं है। अब सिद्धू की क्या भूमिका रहेगी, ये फैसला भी कैप्टन और कमेटी के सदस्यों को ही करना है। हालांकि, कैप्टन को सभी को साथ लेकर पंजाब के मुद्दों को सुलझाने के लिए बनाई गई कमेटी को नेतृत्व ने चुनाव तक विस्तार दे दिया है।
मल्लिकार्जुन खडग़े, जयप्रकाश अग्रवाल और प्रभारी हरीश रावत की कमेटी अब कैप्टन के साथ चुनावी मुद्दों, कमेटियों और रणनीति बनाने पर काम करेगी। कमेटी के साथ कैप्टन की चार घंटे तक हुई बैठक के बाद नेतृत्व ने साफ तौर पर असंतुष्ट नेताओं को संदेश दिया है कि पंजाब में कैप्टन ही पंजाब की अगली चुनावी पारी खेलेंगे। हालांकि, कमेटी के सदस्य चुनाव प्रचार में सिद्धू को भी आगे रखने के पक्षधर हैं।