देश साहित्य शीन काफ़ निजाम की गज़ल Markanday Mishra July 21, 2020 मौजे-हवा तो अबके अजब काम कर गईउड़ते हुए परिंदों के पर भी कतर गईनिकले कभी न घर से मगर इसके बावजूदअपनी तमाम उम्र सफर में निकल गईआँखें कहीं, दिमाग कहीं, दस्तो-पा कहींरस्तों की भीड़-भाड़ में दुनिया बिखर गईकुछ लोग धूप पीते हैं साहिल पे लेटकरतूफ़ान तक अगर कभी इसकी खबर गईदेखा उन्हें तो देखने से जी नहीं भराऔर आँख है कि कितने ही ख़्वाबों से भर गईमौजे-हवा ने चुपके से कानों में क्या कहाकुछ तो है क्यूँ पहाड़ से नद्दी उतर गईसूरज समझ सका न उसे उम्र भर ‘निजाम’तहरीर रेत पर जो हवा छोड़ कर गई. Spread the word Continue Reading Previous वृक्षारोपण कर पूर्व गृहमंत्री कंवर ने मनाया अपना जन्मदिनNext चेंबर ऑफ कॉमर्स कोरबा ने की व्यापार के समय में संशोधन की मांग Related Articles दिवस विशेष देश देश में आज @ कमल दुबे Markanday Mishra November 10, 2022 दिवस विशेष देश देश में आज @ कमल दुबे Markanday Mishra November 9, 2022 दिवस विशेष देश देश में आज @ कमल दुबे Markanday Mishra November 8, 2022