किसान सभा ने दो घंटे रोका मालगाड़ी, पुलिस जवानों से झूमा-झटकी
कोरबा 19 अक्टूबर। किसान कानून वापस लेने छत्तीसगढ़ किसान सभा की अगुवाई में ग्रामीणों ने मालगाड़ी का चक्काजाम किया। दो घंटे तक चले आंदोलन के दौरान एक भी मालगाड़ी का परिचालन नहीं हो सका। प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने जबरन रेल पटरी से हटाया तब मालगाड़ी का परिचालन शुरू हो सका। इस दौरान आंदोलनकारी और आरपीएफ व पुलिस के जवानों के मध्य झूमा झटकी भी हुई।
संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर आयोजित देश व्यापी रेल चक्काजाम आंदोलन कोरबा में भी अखिल भारतीय किसान सभा से संबद्ध छत्तीसगढ़ किसान सभा ने किया। गेवरा-दीपका रेलखंड में ग्राम कुचैना. गंगानगर के बीच काफी संख्या में किसान सभा के कार्यकर्ता व ग्रामीण महिला पुरूष एकत्र हो पटरी पर बैठ गए। इस दौरान मालगाड़ी का परिचालन पूरी तरह बंद रहा। इस रेल खंड में गेवरा व दीपका से कोयला लेकर मालगाड़ी बाहर निकलती है, वहीं गेवरा से एनटीपीसी कोरबा संयंत्र को कोयला आपूर्ति किया जाता है। दोनों रेल लाइन के उपर बैठ कर आंदोलनकारी नारेबाजी करने लगे। इस मौके पर किसान सभा के जिला सचिव प्रशांत झा ने कहा कि गेवरा रोड स्टेशन से रेलवे सबसे ज्यादा राजस्व वसूल करता है। यहां एसईसीएल की गेवरा एशिया की सबसे बड़ी खदान है और हर साल 42 मिलियन टन कोयले की ढुलाई रेल से ही होती है। किसान सभा ने इसी रेल खंड को आंदोलन में अपना निशाना बनाया, जिसके कारण किसी यात्री ट्रेन के रुकने की तुलना में रेलवे को ज्यादा नुकसान हुआ और एसईसीएल से भी कोयला ढुलाई बाधित हुई। रेल्वे और जिला पुलिस बल ने गंगानगर के पास किसानों को रेल्वे पटरियों पर जाने से रोकने के लिए नाकेबंदी कर रखी थी, लेकिन किसानों ने पुलिस को चकमा देते हुए एक किलोमीटर दूर गांव के दूसरे रास्ते से पटरियों तक पहुंच गए। सैकड़ों किसानों ने तीनों किसान विरोधी कानूनों और मजदूर विरोधी श्रम संहिता वापस लेने, सी.दो लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का कानून बनाने और लखीमपुर खीरी जन संहार के दोषी केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा को बर्खास्त करने की मांग की तख्तियां लिए, नारे लगाते उन्होंने पटरियों पर धरना दे दिया। लगभग दो घंटे के बाद पुलिस ने जबरदस्ती आंदोलनकारियों को पटरी से हटाया। इससे कुछ दूर झूमाझटकी होती रही और माहौल गर्म हो गया, पर बाद में पुलिस ने आखिर सभी आंदोलनकारियों को पटरी से हटा दिया। इसके बाद मालगाड़ी का परिचालन पुनः शुरू हो सका।
पुलिस व रेल प्रशासन ने आंदोलन को टालने के लिए किसान सभा के नेताओं से चर्चा की, पर वार्ता असफल रही। किसान सभा नेताओं ने आंदोलन स्थगित करने का अनुरोध ठुकरा दिया था। पुलिस की सख्ती को देखते हुए किसान सभा के प्रमुख नेता भूमिगत हो गए थे और सोमवार को योजनाबद्ध तरीके से किसान सभा नेता जवाहर सिंह कंवर, प्रशांत झा और दीपक साहू की अगुआई में गांवों से किसान निकलकर पटरियों पर आंदोलन करने पहुंच गए।