धर्मांतरण पर RSS का सख्त सन्देश: किसी को बदलने की चेष्टा नहीं करो, अपने रास्ते चलो
मुंगेली 20 नवम्बर। जिले के मदकू द्वीप में आरएसएस ने तीन दिवसीय निमित्त घोष वर्ग प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया जिसमे संघ प्रमुख मोहन भागवत शामिल हुए। उन्होंने हरिहर आश्रम पहुंचकर भगवान गणेश की पूजा अर्चना के साथ शमी के पौधे भी लगाए। मांडूक्य ऋषि की भव्य प्रतिमा के दर्शन के बाद उन्होंने हरिहर आश्रम के संत रामस्वरूप से प्राचीन कथाएं भी सुनी।
मोहन भागवत संघ की निमित्त घोष वर्ग के आयोजन में शामिल हुए। निमित्त घोष वर्ग में आनक, शंख, झल्लरी, बंशी, प्रणव, ट्रैंगल और नागांग जैसे को खास वाद्ययंत्रों के माध्यम से लय-ताल के साथ पूरा मैदान गुंजयमान था। मार्चपास्ट के साथ बैंड धुन को बजाया गया। मदकूद्वीप में संघ प्रमुख के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे।
इस दौरान संघ प्रमुख ने पदाधिकारियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि किसी को बदलने या खुद बदलने से नहीं बल्कि सभी को जोड़कर हमे आगे बढ़ना है। इसी में सबकी भलाई है।
डॉ. मोहन भागवत ने स्वयं सेवकों को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे पूर्वज दुनिया भर में गए। अनेक देशों को हमारे पूर्वजों ने सत्य दिया। हमारे सत्य में भगवान राम विराजते हैं। सत्य में राम हैं, राम ही सत्य है। हम सत्य को जानने वाले लोग हैं। हमें अपने आपको पहचाना होगा। भारत अनेकता में एकता सिखाता है। भारत हर किसी को अपनाता है।
मोहन भगवत ने धर्मांतरण और पर्यावरण पर जोर देते हुए कहा कि पर्यावरण को बचाने हरित क्रांति लाने की आवश्यकता है। जैसा, यह क्षेत्र दिखाई दे रहा है। उन्होंने धर्मांतरण पर कहा कि आरएसएस धर्मान्तरण नहीं कराता। लेकिन दुर्बल को सबल जरूर बना देता है। सनातन परंपरा यानी हिंदू धर्म यही सीख देता है। शक्ति सम्पन्न रहे तो कोई भी आपको झुका नहीं सकता।
धर्म परिवर्तन कराने वालों को भागवत ने इशारों में कड़ा संदेश देते हुए कहा कि जैसे बाजा एक सुर में बजता, ताल से ताल मिलता है, वैसे ही हमें रहना है। कोई सुर को खराब करे तो संविधान में उसके लिए भी कानून है। कानून के दायरे हम उसे भी ठीक कर सकते हैं। किसी को बदलने की चेष्टा न करो, अपने रास्ते चलो। उन्होंने कहा कि मदकुद्वीप का यही संदेश है, गुरु नानक का यही संदेश, पूर्णिमा का यही संदेश, इस कार्यक्रम का यही संदेश और इस पुण्यभूमि का भी यही संदेश है।