November 7, 2024

कटघोरा वनमंडल के बरदापखना में हाथियों का उत्पात

कोरबा 19 दिसंबर। जिले के कटघोरा वनमंडल में हाथियों का आतंक जारी है। यहां के इलाके में मंडरा रहे 43 हाथियों का दल अब बेकाबू हो गया है। ये हाथी मकान, फसल व मानव के बाद अब जानवरों के भी दुश्मन बन गए हैं। हाथियों ने बीती रात पसान रेंज के बरदापखना में भारी उत्पात मचाते हुए घरों के बाहर बंधे आधा दर्जन मवेशियों को मौत के घाट उतार दिया। वहीं तीन ग्रामीणों के मकान को भी बुरी तरह ध्वस्त कर दिया। हाथियों के हमले में आधा दर्जन मवेशियों की मौत से क्षेत्र में हड़कंप मच गया है। सूचना मिलते ही वन विभाग के अधिकारी व कर्मचारी मौके पर रवाना हो गए हैं।

जानकारी के अनुसार पसान रेंज के पोड़ीकला बीट में विगत कुछ दिनों से 43 हाथियों का झुंड विचरण कर रहा है। ये हाथी बेकाबू हो गए हैं और क्षेत्र में भारी उत्पात मचा रहे हैं। हाथियों का यह दल बीती रात आगे बढ़कर पसान रेंज के ही जलके सर्किल में प्रवेश किया और यहां पहुंचने के कुछ देर बाद बरदापखना नामक गांव के रिहायशी क्षेत्र में जाकर उत्पात मचाने लगा। इस दौरान हाथियों ने तीन ग्रामीणों के मकान को पूरी तरह तहस.नहस कर दिया तथा घरों के बाहर बंधे आधा दर्जन मवेशियों को निशाने पर लेते हुए सूंड से उठाकर पटक दिया। जिससे इन मवेशियों की तत्काल मौत हो गई। इतना ही नहीं हाथियों ने खेत व बाड़ी में लगे फसलों को भी चौपट कर दिया। हाथियों के बरदापखना पहुंचने तथा आधा दर्जन मवेशियों को मौत के घाट उतार दिए जाने की सूचना पर वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी आज सुबह मौके पर पहुंचे और हाथियों द्वारा किये गए नुकसानी का आंकलन करने के साथ ही रिपोर्ट तैयार की। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि हाथियों के हमले में आधा दर्जन मवेशियों की मौत हुई है। जिसका पोस्टमार्टम कराया जा रहा है। विभाग मवेशियों के मालिक को मुआवजा प्रदान करेगा। इससे पहले हाथियों ने रास्ते में बीजाडांड व अन्य स्थानों पर भी फसलों को काफी नुकसान पहुंचाया है। खबरों के मुताबिक वन विभाग को हाथियों के आबादी वाले क्षेत्र में में प्रवेश करने की सूचना शाम होते ही मिल गई थी जिस पर डिप्टी रेंजर अरुण पांडेय के नेतृत्व में वन विभाग के कर्मचारी शारदा प्रसाद शर्माए निसार खानए ईश्वरदास मानिकपुरी व उनकी टीम सरकारी वाहन में हाथियों को खदेडऩे के लिए मशालए लाउड स्पीकर व अन्य संसाधन लेकर मौके पर जा रहे थे तभी रात 8 बजे के लगभग खजरीपारा गांव के पास ग्रामीणों ने उन्हें घेर लिया तथा वाहन के सामने ट्रैक्टर को खड़ा कर बहसा.बहसी करने लगे। नशे में चूर ग्रामीण काफी आक्रोशित थे तथा वन विभाग पर हाथियों के उत्पात को रोकने में नाकामी का आरोप लगाते हुए वाहन में तोडफ़ोड़ करने की धमकी देते रहे। काफी देर तक समझाने के बाद ग्रामीण शांत हुए और वन अमले को गंतव्य स्थान के लिए आगे बढऩे दिया। ग्रामीणों के अड़ंगा डाले जाने के कारण वे समय पर नहीं पहुंच सके और हाथियों ने कुछ ज्यादा ही नुकसान पहुंचा दिया। समय रहते वन अमला मौके पर पहुंचता तो शायद मारे गए मवेशियों में से कुछ की जान बच सकती थी तथा मकान टूटने से भी बच सकता था।

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