September 20, 2024

बेटे के परोल के इंतजार में चार दिन से मर्च्युरी में है पिता का शव

कोरबा 25 दिसंबर। एक बुजुर्ग की मौत के बाद उनकी चार बेटियां जेल में बंद अपने भाई को पेरोल की अनुमति दिलाने कलेक्ट्रेट का चक्कर काटती रहीं। उधर चार दिन से शव अस्पताल के मर्च्युरी में है। कलेक्ट्रेट के चौखट में बैठे स्वजन कलेक्टर से मिलने की कोशिश में सिसकते रहे, पर किसी ने उनकी मदद नहीं की। उल्टे एक बाबू ने उन्हे गुमराह कर बिलासपुर भेज दिया। स्वजन अंततः राजस्व मंत्री के पास पहुंचे, तब जाकर पेरोल की अनुमति जारी हुई।

शहर के आरामशीन निवासी रहस दास 70 साल की तबियत 21 दिसंबर को अचानक खराब हो गई। उसे कोसाबाड़ी के एक निजी अस्पताल में स्वजन ले जा रहे थे, पर उसने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। अस्पताल पहुंचने पर चिकित्सकों ने परीक्षण के बाद मृत घोषित कर दिया। इसके साथ ही वर्षा दास, रेनुदास समेत मृतक की चार बेटियों का संघर्ष शुरू हुआ। स्वजन चाहते थे रहस का अंतिम संस्कार पुत्र रतन दास के हाथों हो। रहस की भी यह अंतिम इच्छा रही। चूंकि हत्या के एक मामले में रतनदास सेंट्रल जेल बिलासपुर में सात साल की सजा काट रहा है, इसलिए पेरोल की आवश्यकता थी। इसके बाद ही वह अंतिम संस्कार में शामिल हो पाएगा। पिता के अंतिम इच्छा पूरा करने चारो बहनों ने कवाद शुरू की। कलेक्ट्रेट में पेरोल के लिए आवेदन लगाया गया। कुछ इंतजार के बाद अनुमति मिलने की उम्मीद थी, पर यहां के एक बाबू ने यह कहकर उन्हे गुमराह कर दिया कि पेरोल के दस्तावेज बिलासपुर भेज दिया गया है। स्वजन अनुमति मिलने की उम्मीद में बिलासपुर चले गए, पर वहां जाने के बाद पता चला कि दस्तावेज नहीं पहुंचे हैं। स्वजनों को वहां से बैरंग वापस लौटना पड़ा। इस बार सीधे कलेक्टर से मिलने की कोशिश स्वजनों ने की पर यह भी संभव नहीं हो पाया। इस तरह चार दिन चार दिन गुजर गए। स्वजन बस यहां से वहां भटकते रहे। उधर शव मर्च्युरी में पड़ा है।

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