साहित्य हिन्दी ओम प्रभाकर के दो नवगीत Markanday Mishra August 10, 2020 नवगीत-एकरातें विमुख दिवस बेगानेसमय हमारा,हमें न माने !लिखें अगर बारिश में पानीपढ़ें बाढ़ की करूण कहानीपहले जैसे नहीं रहे अबऋतुओं के रंग-रूप सुहाने ।दिन में सूरज, रात चन्द्रमादिख जाता है, याद आने परहम गुलाब की चर्चा करते हैंगुलाब के झर जाने पर ।हमने, युग ने या चीज़ों नेबदल दिए हैंठौर-ठिकाने ।नवगीत-दोरातरानी रात मेंदिन में खिले सूरजमुखीकिन्तु फिर भी आज कलहम भी दुखीतुम भी दुखी !हम लिए बरसातनिकले इन्द्रधनु की खोज मेंऔर तुममधुमास में भी हो गहन संकोच में ।और चारों ओरउड़ती है समय की बेरुख़ी !सिर्फ़ आँखों से छुआबूढ़ी नदी रोने लगीशर्म से जलती सदीअपना ‘वरन’ खोने लगी ।ऊब कर खुद मर गएजो थे कमल सबसे सुखी ।हम भी दुखीतुम भी दुखी । Spread the word Continue Reading Previous राकेश गुप्त निर्मल की गजलNext कमलेश भट्ट कमल, दो गज़ल Related Articles कोरबा छत्तीसगढ़ जरूरी खबर साहित्य डॉ.निशंक का रचना संसार साहित्य महाकुंभ समारोह में डॉ.ऊषी बाला गुप्ता सम्मानित Markanday Mishra October 30, 2022 कोरबा छत्तीसगढ़ जरूरी खबर प्रेरणा भाषा संस्कृति साहित्य एनटीपीसी कोरबा में राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए हिन्दी पखवाड़ा 2022 के तहत विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन Markanday Mishra September 30, 2022 आस्था कला कोरबा छत्तीसगढ़ जरूरी खबर संगठन संस्कृति साहित्य छत्तीसगढ़ की लोक कला, परंपरा व संस्कृति को बचायें: पुरुषोत्तम Markanday Mishra September 29, 2022