November 21, 2024

4468 शिक्षक गये हड़ताल पर, 1209 सरकारी स्कूलों में लटका ताला

कोरबा 31 अगस्त। सरकारी कर्मचारियों के अनिश्चतकालीन हड़ताल का सर्वाधिक असर स्कूल शिक्षा पर पड़ा है। यह जानकर हैरत होगी कि जिले के 6,682 शिक्षकों में 4,468 शिक्षकों ने स्कूल जाना बंद कर दिया है, केवल 2219 शिक्षक ही स्कूल पहुंच रहे। इसकी वजह 2174 में 1209 स्कूलों के पट बंद हो गए हैं। इसका ब्यौरा सरकार ने मांगा है। उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही इस पर कोई ठोस पहल की जाएगी।

महंगाई भत्ता और गृहभाड़े की मांग लेकर राज्य भर के सरकारी कर्मचारी इन दिनों हड़ताल पर हैं। प्रशासनिक विभाग के कार्यालयों के कर्मचारी काम पर नहीं आ रहे हैंए पर वहां कामकामज पूरी तरह से बंद नहीं है। वहीं दूसरी ओर स्कूलों में शिक्षकों के नहीं पहुंचने से पूरी व्यवस्था ही चरमरा गई है। 25 से 30 जुलाई तक सांकेतिक हड़ताल में चले जाने से पांच दिन स्कूल बंद रहे। अब दूसरे चरण में 22 अगस्त से शिक्षक अनिश्चतकालीन हड़ताल पर हैं। राज्य सरकार ने न तो पहले चरण के आंदोलन में कर्मचारियों की पूछ परख की और अब दूसरे चरण में भी कमोबेश वहीं स्थिति बनी हुई है। शासन और कर्मचारियों के द्वंद में विद्यार्थियों का भविष्य अंधकारमय हो रहा है। वार्षिक शिक्षा कलैंडर के अनुसार सितंबर माह के दूसरे पखवाड़े में तिमाही की परीक्षा आयोजित की जानी है। 15 जून 30 अगस्त तक निर्धारित कोर्स को परीक्षाा में शामिल करने करना है। एक से 15 सितंबर कोर्स की पुनरावृत्ति कर बच्चों को परीक्षा में शामिल करने का नियम है। अब तक के हड़ताल के कारण सरकारी स्कूलों के बच्चों की पढ़ाई 23 प्रतिशत पिछड़ गई है। प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि जिन स्कूलों में पढ़ाई नहीं हो रही हालात सुधरने के बाद अतिरिक्त कक्षाएं लगाकर बच्चों के कोर्स पूरे कराए जाएंगे। इन दावों को यदि मान भी लिया जाए तो बच्चों कोर्स पूरा होने के बाद पुनरावृत्ति की प्रक्रिया भला कैसे होगी। यही वजह है कि बच्चों के अभिभावक चिंतित हैं। कोरोना संक्रमण समाप्त होने पर अभिभावकों को यह उम्मीद बनी थी कि बच्चों की पढ़ाई पटरी पर लौट आएगी पर शिक्षकों की हड़ताल से एक बार फिर उन्हे निराशा हाथ लगी है।

खास बात यह है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले करीब 80 प्रतिशत शिक्षकों के बच्चे निजी स्कूलों में पढऱ रहे हैं। सवाल यह उठता है कि आखिर शिक्षक जहां पढ़ाते हैं उस स्कूल में अपने बच्चों का दाखिला क्यों नहीं कराते हैं। यही वजह है कि शिक्षक हड़ताल में हैं, सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों शिक्षा की प्रभावित हो रही और उनके अपने बच्चे निजी स्कूलों में नियमित शिक्षा ग्रहण कर रहे। जिस काम के लिए शिक्षकों को वेतन मिलता है उसे छोड़ धरने पर बैठ गए हैं। वहीं समाज में कुछ ऐसे भी जवाबदार लोग हैं जो बच्चों के भविष्य को देखते हुए सरकारी स्कूलों में खुद से पहुंच कर उन्हे पढ़ा रहे हैं। कटघोरा विकासखंड के ग्राम रामपुर में संचालित प्राथमिक पाठशाला में बच्चे आकर वापस लौट जाया करते थे। इसे देखते हुए राष्ट्रीय सेवा योजना से जुड़े स्वयं सेवकों ने स्कूल के बाहर सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए बनाए मंच पर बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया है। उधर हरदीबाजार कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने बच्चों को पढ़ाने का बीड़ा उठा लिया है।

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