सरस्वती शिशु मंदिरों में आज भी कायम है हमारे प्राचीन भारतीय संस्कार: पं.मोरध्वज वैष्णव
कोरबा 17 अक्टूबर। हमारा प्राचीन भारतीय संस्कार सरस्वती शिशु मंदिर विद्यालयों में आज भी जीवंत रूप से विद्यमान है और बच्चों को यह उत्कृष्ट संस्कार दिए जा रहे हैं। सच्ची लगन व कठिन परिश्रम और गुरुजनों गुरुजनों के आशीर्वाद से ही किसी कला में उच्च स्तर तक सफलता प्राप्त की जा सकती है। आज विभिन्न विधाओं में प्रांत स्तर से चयनित होकर यहां अपनी उत्कृष्ट कला का प्रदर्शन छात्र करेंगे। सभी प्रतिभागियों के बेहतर प्रदर्शन के लिए कामना करता हूं।
यह बात शनिवार को सरस्वती हायर सेकंडरी स्कूल कोरबा पूर्व में हुए भारतीय संस्कृत महोत्सव में तबला तालमणी पं.मोरध्वज वैष्णव ने कही। कार्यक्रम के अध्यक्ष सरस्वती शिक्षा संस्थान के प्रांतीय संगठन मंत्री देवनारायण साहू ने कहा कि हर समय कुछ न कुछ समारोह होते रहता है। इससे मनुष्य सुखी व प्रसन्न रहता है। इस संघर्षमय जीवन को ठीक से जीने के लिए इस प्रकार के उत्सव आवश्यक हैं। यह आयोजन विद्या भारती की प्रांतीय इकाई सरस्वती शिक्षा संस्थान रायपुर द्वारा यहां आयोजित किया गया था। कार्यक्रम में विद्याभारती मध्यक्षेत्र के उपाध्यक्ष चंद्रकिशोर श्रीवास्तव, प्रांतीय सह संगठन मंत्री राघवेन्द्र, सरस्वती शिक्षा समिति कोरबा के उपाध्यक्ष जनार्दन प्रसाद शर्मा, कोषाध्यक्ष शंकरलाल टमकोरिया, वरिष्ठ सदस्य व पूर्व व्यवस्थापक विकास जोशी, विभाग समन्वयक बिलासपुर गेंदराम राजपूत, संस्कृति बोध परियोजना के प्रांत प्रमुख अनिल वर्मा, जिला प्रतिनिधि अर्जुन पटेल, वनवासी शिक्षा के प्रांत प्रमुख नरेश जायसवाल तथा प्रांतीय प्रतियोगिता के लिए चयनित छात्र-छात्राएं, संरक्षक आचार्य, आचार्या उपस्थित थे। उद्घाटन की औपचारिकता के बाद अतिथियों का परिचय प्राचार्य राजकुमार देवांगन ने दिया। कार्यक्रम में ख्याति प्राप्त तबला वादक मोरध्वज वैष्णव ने अपनी कला का प्रदर्शन कर प्रतिभागी छात्रों का मनोबल बढ़ाया। कार्यक्रम का संचालन कामता प्रसाद साहू ने किया।