अफसरों की कमी की वजह से सफर कर रहा महिला एवं बाल विकास विभाग, डीपीओ से लेकर पांचों परियोजनाओं के सीडीपीओ के पद खाली
कोरबा 09 नवम्बर। आदिवासी बाहुल्य कोरबा जिले में महिला एवं बाल विकास विभाग इन दिनों अधिकारियों के अभाव में सफर कर रहा है। पिछले एक पखवाड़े से अधिक समय से परियोजना अधिकारियों के 50 फीसदी पद रिक्त हैं। 10 परियोजना में से 5 परियोजना कोरबा ग्रामीण एबरपाली कोरबा शहरी, पोंडी एवं हरदीबाजार परियोजना अधिकारी के बिना संचालित हो रहे। यही नहीं 31 अक्टूबर को डीपीओ के सेवानिवृत्त होने के उपरांत नए डीपीओ की हफ्ते भर बाद भी पोस्टिंग नहीं हो सकी। जिसकी वजह से विभाग द्वारा संचालित योजनाओं के क्रियान्वयन में ढिलाई दिखने लगी है।
बात करें परियोजना अधिकारियों की तो जिले में संचालित 10 परियोजना बरपाली,कोरबा ग्रामीण कोरबा शहरी हरदीबाजार एवं पोंडी परियोजना अधिकारी विहीन हैं। 27 सितम्बर को जारी किए गए स्थानातंरण आदेश के तहत हरदीबाजार परियोजना अधिकारी कौशलेश देवांगन का गरियाबंद जिले के फिंगेश्वर परियोजना तो कोरबा ग्रामीण के परियोजना अधिकारी विकास सिंह का जांजगीर-चाम्पा जिले के नवागढ़ परियोजना अधिकारी के पद पर स्थानातंरण हो चुका है। पोंडी उपरोड़ा बरपाली के परियोजना अधिकारी सितम्बर माह में ही सेवानिवृत हो चुके हैं। तो वहीं कोरबा शहरी परियोजना अधिकारी का पद भी पिछले 3 माह से रिक्त है। बालोद जिले के बालोद परियोजना अधिकारी की नवीन पदस्थापना बरपाली तो मुंगेली के परियोजना अधिकारी बजरंग सांडे की पदस्थापना कोरबा शहरी परियोजना अधिकारी के पद पर नवीन पदस्थापना की गई है। लेकिन दोनों ही अधिकारियों ने निर्धारित15 दिवस की मियाद में नवीन पदस्थापना स्थल में जॉइनिंग नहीं दी। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार बरपाली में पदभार ग्रहण करने से पूर्व सीडीपीओ बालोद का स्थानांतरण आदेश संसोधन कर उन्हें जगदलपुर पोस्टिंग दे दी गई है, वहीं कोरबा शहरी में बजरंग सांडे पदभार ग्रहण करने में रुचि नहीं दिखा रहे। इसका असर कामकाज पर पड़ रहा।
सीडीपीओ संभाल रहीं अतिरिक्त प्रभार:-परियोजना अधिकारियों का पद रिक्त होने से वर्तमान पदस्थ परियोजना अधिकारियों की जिम्मेदारी बढ़ गई है। करतला के परियोजना अधिकारी रागिनी बैस को बरपाली का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। पोड़ी का प्रभार पसान परियोजना अधिकारी निशा कंवर,हरदीबाजार का अतिरिक्त प्रभार परियोजना अधिकारी पाली दीप्ति पटेल को दिया गया है। कोरबा शहरी एवं कोरबा ग्रामीण का अतिरिक्त प्रभार जिला महिला एवं बाल विकास विभाग अधिकारी गजेंद्र देव सिंह को दिया गया है।
डीपीओ भी नहीं मिले, क्या पक रही खिचड़ी:-जिला कार्यक्रम अधिकारी का पद भी हफ्ते भर से रिक्त पड़ा है। जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री एम डी नायक 31 अक्टूबर को सेवानिवृत्त हो चुके हैं। लेकिन उनकी जगह आज पर्यन्त शासन स्तर से नए डीपीओ को पोस्टिंग नहीं हो सकी। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार कोरबा के लिए दावेदारी चल रही। इनमें प्रमुख नाम कोरिया डीपीओ प्रीति खोखर चखियार का चल रहा । वे करीब एक दशक पूर्व कोरबा में बतौर डीपीओ डेढ़ साल तक उल्लेखनीय सेवाएं दे चुकी हैं। दूसरा नाम धमतरी डीपीओ जगरानी एक्का का चल रहा। कोरबा में डीपीओ रह चुकीं विभागीय प्रक्षिक्षण केंद्र जगदलपुर में पदस्थ रेनु प्रकाश एवं रायगढ़ के चर्चित डीपीओ टिकवेंद्र जाटवर भी इस सूची में शामिल थे। अब देखना है विभाग इनमें से किसके नाम पर मुहर लगाती है। विभाग इनमें से हटकर किसी अन्य को कोरबा की कमान दे दे तो भी हैरानी नहीं होगी। बहरहाल सीडीपीओ डीपीओ के पद के लिए अंदर क्या खिचड़ी पक रही यह जिज्ञासा का विषय बना हुआ है।
कामकाज में पड़ रहा असर:-सीडीपीओ एडीपीओ की गैरमौजूदगी का असर जमीनी स्तर पर योजनाओं के क्रियान्वयन की मॉनिटरिंग में पड़ रहा। आंगनबाड़ी केंद्रों की सतत मॉनिटरिंग नहीं हो रही। पोंडी परियोजना में पदस्थ नवीन कार्यकर्ताओं को विभागीय प्रक्षिक्षण नहीं कराने की वजह से 4 माह से वेतन का एक सिक्का नहीं मिला। चूल्हा जलना मुश्किल हो गया है ,वहीं हाल ही में कोरबा ग्रामीण के सलिहाभांठा के आंगनबाड़ी केंद्र के एक बच्चे की आकस्मिक मौत हो गई थी। परिजनों ने गंभीर आरोप लगाए थे। लेकिन जिम्मेदारों को जांच के लिए फुर्सत नहीं मिल रही।