November 8, 2024

स्नान दान की परंपरा के साथ मनाई गई मकर संक्रांति

कोरबा। मकर संक्रांति हिन्दू संस्कृति का बहुत बड़ा पर्व है। इसे सूर्योपासना के त्योहार के रूप में मनाया जाता है। सूर्य प्रत्यक्ष दृष्टि गोचर होने वाले एकमात्र देव और सृष्टि नियंता है, इसलिए सूर्य की पूजा करके ऊर्जा प्राप्त करने का महात्म्य पुराणों और गीता में वर्णित है। इस बार रविवार को मकर संक्रांति मनाई गई। खरमास के समापन के साथ मांगलिक कार्य शुरू हो चुके हैं।
इस साल मकर संक्रांति का खास महत्व है, क्योंकि रविवार और मकर संक्रांति दोनों ही सूर्य को समर्पित हैं। संक्रांति का अर्थ होता है सूर्य देव का एक राशि से दूसरे राशि में संक्रमण। सूर्य देव का सप्त अश्व गायत्री, वृहति, उष्णिक, जगती, त्रिष्टुप, अनुष्टुभ और पंक्ति से संचालित रथ पर सवार होकर धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करना ही मकर संक्रांति कहलाता है। इस दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण की स्थिति में आते हैं। इसी के साथ खरमास का अंत और शुभ कार्यों की शुरुआत होती है। सूर्य देव की आराधना का महापर्व मकर संक्रांति हिंदू पंचांग मतानुसार 14 जनवरी को रात 8.14 पर सूर्य मकर राशि में गोचर करेंगे। उदया तिथि होने के कारण मकर संक्रांति का महापर्व 15 जनवरी को मनाया गया। बच्चों ने पतंगबाजी का लुत्फ उठाया। घरों में तिल लड्डू बनाए गए। पर्व पर स्नान दान की परंपरा का निर्वहन किया गया।

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