रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट और लकवा पीड़ित को एनकेएच में मिला नया जीवन
0 न्यूरोसर्जन डॉ. मित्तल ने किया सफल ऑपरेशन, छत से गिरा था युवक
कोरबा। शहर के खरमोरा इलाके में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया। इस घटना से लोगों को सीख लेने की जरूरत है। कोई भी चीज असंभव नहीं होती। दृढ़ संकल्प और निष्ठा हो तो कुछ भी संभव है। छत से गिरने के कारण रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट और दोनों पैरों में लकवा की शिकायत के मरीज को एनकेएच में न्यूरो सर्जन डॉ. मित्तल और उनकी टीम ने नया जीवन दिया है। इस तरह के मामले अक्सर जल्द ठीक नहीं होते, लेकिन चिकित्सकों की अथक मेहनत और लगन ने मरीज को फिर से उसके पैरों पर खड़ा कर ही दिया।
ग्राम देवपहरी निवासी महेश कुमार 26 वर्ष अपनी बहन के घर खरमोरा घूमने आया था। वह छत पर किसी काम से गया हुआ था, जहां पैर फिसल गया और नीचे गिर गया। उसके रीढ़ की हड्डी टूटकर अंदर धंस गई। नसों में गहरी चोट लगने के कारण दोनों पैरों में लकवा (ट्रॉमेटिक पैरा प्लेजिआ) हो गया। उसे इलाज के लिए एनकेएच अस्पताल लाया गया, जहां न्यूरोसर्जन डॉ. दिविक एच मित्तल ने टूटी हुई रीढ़ की हड्डी का सफल ऑपरेशन कर मरीज को नयी जिंदगी दी। न्यूरो सर्जन डॉ. मित्तल ने बताया कि मरीज की दो जटिल सर्जरी की गई। पहली पैडिकल स्क्रू ऐंड रॉड फिक्सेशन ऑफ स्पाइन कॉलम और दूसरी डी-कम्प्रेशन ऑफ स्पाइनल कॉर्ड। यह दोनों सर्जरी एक साथ की गई है। सर्जरी के दौरान स्पाइनल कॉर्ड को खोलकर इस पर से दबाव हटा दिया गया। नसों पर टूटी हुई हड्डी के दबाव को कम करके पेंच और रॉड डालकर सर्जरी की गई। सर्जरी के दौरान टाइटेनियम के 8 पेंच और दो रॉड डाले गए हैं। अस्पताल में डी-कम्प्रेशन ऑफ स्पाइनल कार्ड की टीम ने सर्जरी किया।
डॉ. मित्तल ने बताया कि ऑपरेशन के कुछ दिन बाद मरीज का फिजियोथेरेपिस्ट डॉ. अमन श्रीवास्तव और डॉ. यशा मित्तल ने फिजियोथेरेपी कराया। डॉक्टर एवं नर्सों की पूरी टीम ने मरीज का मनोबल बढ़ाये रखा। ऐसे गहरी कमर की चोट में मरीज का ठीक होना करीब-करीब असंभव होता है, लेकिन 6 महीने की कड़ी मेहनत के बाद महेश अब बिल्कुल ठीक हो गया है। पहले की तरह अपना पूरा कामकाज कर रहा है। मरीज के परिजनों ने डॉ. मित्तल सहित उनकी टीम का आभार जताया है।