नौकरी व मुआवजा की मांग को लेकर भू-विस्थापितों का अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू
कोरबा। एनटीपीसी कोरबा परियोजना से प्रभावित भू-विस्थापित चार दशक बीतने के बाद भी न तो नौकरी पा सके हैं और न ही मुआवजा। परियोजना के लिए चारपारा स्थित उनकी जमीन अधिग्रहित की गई थी। एनटीपीसी की वादाखिलाफी से त्रस्त होकर भू-विस्थापित एक बार फिर तानसेन चौराहे पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने अधिकारियों पर आर्थिक और सामाजिक हितों की अनदेखी करने का आरोप लगाया है।
प्रर्दशन कर रहे प्रभावित भू-विस्थापितों ने बताया कि एनटीपीसी कोरबा ने सन् 1978-79 में ग्राम चारपारा, गेरवा, दर्रीखार, नगोईखार टांगामार आदि गांव की जमीन 2000 मेगावाट विद्युत ताप परियोजना के लिए अधिग्रहण की थी। इसमें चारपारा व गेरवा संपूर्ण भू-विस्थापित ग्राम है। एनटीपीसी ने 4 सितंबर 1979 में लिखित आम सूचना जारी कर कहा था कि लोगों ने इस विशाल परियोजना के लिए अपनी खेती योग्य भूमि व आवासीय भूमि प्रदान की है। राष्ट्रीय विद्युत ताप परियोजना निगम ने स्वीकार किया है कि प्रत्येक परिवार में एक व्यक्ति को जिनकी भूमि परियोजना हेतु अधिग्रहित की गई है क्रमिक रूप से शैक्षणिक एवं अन्य योग्यताओं के आधार पर रोजगार प्रदान किया जावेगा। परियोजना का निर्माण कार्य जैसे-जैसे बढ़ता जाएगा, रोजगार के अवसर भी बढ़ते जाएंगे। लोगों को भी क्रमिक रूप से रोजगार प्रदान किया जाएगा। प्रभावितों ने बताया कि इसके आलावा रोजगार देने संबंधित सूचना 1981 व 1987 में दी गई। इसके अनुसार ग्राम चारपारा के लगभग 300 परिवार में से मात्र 38 लोगों को ही नौकरी दी गई है। इसके बाद बचे लोगों के लिए आज तक रोजगार संबंधित कोई सूचना जारी नहीं किया गया और न ही अपने लिखित वादों का पालन इनकी ओर से किया जा रहा है। इसे लेकर गत वर्ष चारपारा के 8 लोगों ने सपरिवार आंदोलन किया था। अब उन्होंने पुन: 22 अप्रैल से आंदोलन शुरू कर दिया है।