निदेशक तकनीकी ने किया कुसमुंडा-दीपका परियोजना का निरीक्षण
0 उत्पादन व डिस्पैच गतिविधियों का लिया जायजा
कोरबा। एसईसीएल ने सालाना कोयला उत्पादन और डिस्पैच टारगेट को हासिल करने वित्तीय वर्ष के शुरुआत से ही पूरा जोर लगा दिया है। इसका परिणाम रहा है कि वर्ष के पहले माह में ही अप्रैल के सर्वाधिक कोयला उत्पादन और डिस्पैच का रिकॉर्ड कायम कर दिया है। उत्पादन और डिस्पैच में तेजी बरकरार रहे इसे लेकर कोयला मंत्रालय और कोल इंडिया सहित एसईसीएल के आला अधिकारी लगातार खदानों का निरीक्षण कर रहे हैं। इस कड़ी में रविवार को एसईसीएल निदेशक तकनीकी संचालन ने मेगा प्रोजेक्ट कुसमुंडा, दीपका का जायजा लिया।
एसईसीएल के निदेशक तकनीकी (यो/परि) एस.एन. कापरी कुसमुंडा मेगा परियोजना के दौरे पर पहुंचे। उन्होंने कोल स्टॉक की स्थिति देखी। साइडिंग गए और डिस्पैच व्यवस्था का निरीक्षण करते हुए एफ़एमसी परियोजना के प्रगति की समीक्षा की। उन्होंने एरिया कोर टीम से पर्यावरणीय, वन स्वीकृति, भूमि अधिग्रहण में प्रगति आदि बिंदुओं पर चर्चा भी की। दौरे के अंतिम चरण में उन्होंने दीपका एरिया में एफएमसी परियोजना अंतर्गत बन रहे साइलो का भी अवलोकन किया। एसईसीएल की जिले में स्थित मेगा परियोजनाओं पर कोयला उत्पादन का दारोमदार है। गेवरा, दीपका और कुसमुंडा प्रोजेक्ट से 150 मिलियन टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य है। गेवरा को सर्वाधिक 60 मिलियन टन उत्पादन लक्ष्य मिला हुआ है। बीते वर्ष गेवरा ने दमदार प्रदर्शन किया था। इस बार भी गेवरा से काफी उम्मीदें हैं। वहीं कुसमुंडा को 50 और दीपका को 40 मिलियन टन कोयला उत्पादन करना होगा। यही वजह है कि कंपनी की सालाना 200 मिलियन टारगेट को पूरा करने इन परियोजनाओं पर खास फोकस किया जा रहा है। 3 दिन पूर्व कोयला मंत्रालय कोयला नियंत्रक व उप महानिदेशक सुश्री संतोष अग्रवाल ने दीपका क्षेत्र का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने दीपका खदान के विभिन्न हिस्सों का मुआयना किया। उन्होंने वहां चल रहे खनन कार्य का जायजा लिया था। सुश्री अग्रवाल ने साइलो पहुंच कर प्रेषण संबंधी गतिविधियों का जायजा लिया था। मेगा परियोजनाओं का नियमित तौर पर जायजा लिया जा रहा है। इन परियोजनाओं से सर्वाधिक कोयला का उत्पादन किया जाना हैै, जिसे लेकर शुरुआत से ही मेगा परियोजनाओं पर खास फोकस किया गया हैै। मेगा परियोजनाओं में विस्तार की चुनौती बनी हुई हैै, जिसे देखते हुए अफसर विस्तार की कवायद में जुटे हुए हैं, ताकि कोयला उत्पादन की रफ्तार और गति पकड़ सके।